नई दिल्ली. पशुओं को उचित आवास उपलब्ध कराना ही उनकी हेल्थ के लिए जरूरी नहीं होता है. यह भी जरूरी है कि उसकी समय-समय पर सही ढंग से सफाई की जाए. वरना अच्छी तरह से बनाये गये आवासों से भी पूरा फायदा नही मिल पाता है. एक सफल पशु पालक के लिए यह जरूरी है कि वह खुद ही आवास की सफाई करने पर जोर दें. पशु आवासों, उनके फर्श, दीवारों, खाने की नादें, नालियां, बाड़ों दूध हेतु उपयोग में आने वाले अन्य बर्तन व कपड़े आदि को साफ स्थिति में रखा जाना चाहिए.
अच्छी सफाई से जानवरों का स्वास्थ्य ठीक रहता है और इनडायरेक्टली जो व्यक्ति उनका रख रखाव करता है या पशुओं से प्राप्त प्रोडक्ट का उपयोग करते है उन्हें भी स्वस्थ रहने में सहायता मिलती है. सफाई का मतलब सिर्फ दिखाई देने वाली धूल, गन्दगी और मैल की सफाई से ही नहीं है बल्कि बीमारी फैलाने वाले जीवाणुओं के डिसइंफेक्शन से भी है.
सुबह शाम को करें सफाई
एक्सपर्ट कहते हैं कि पशु आवास में जब भी गोबर गिरे उसे साफ कर लेना चाहिये. रोज सुबह और शाम सफाई करनी चाहिये. अच्छी प्रकार धोने के बाद उन्हें सुखा लेना चाहिये. मल-मूत्र को जानवरों के रहने के स्थान से समय-समय पर हटाकर खाद के गड्ढ़ों में डाल देना चाहिये. इसको फर्श या नालियों में अधिक समय तक पड़ें नहीं रहने देना चाहिये. गोशाला को धोने का सबसे उपयुक्त समय वह होता है. जबकि जानवर चरने या घूमने के लिये बाहर गये हों. पशु आवास को धोने के बाद 1-2 प्रतिशत फिनाइल या किसी अन्य डिसइंफेक्शन घोल का प्रतिदिन फर्श पर छिड़काव करना चाहिये.
साल में एक बार पूरे आवास को सही से धोएं
वह आवास जिनमें गायों को रखा जाता है उनको वर्ष में एक बार अच्छी तरह से धोना और डिसइंफेक्शन करना चाहिये. ऐसा खासकर गरम मौसम में तब करना चाहिए जब पशु चरने चले गये हों. गोशाला के अन्दर हटाने लायक सामान को उसको खोलकर आवास से बाहर निकालकर साफ करना चाहिये और फिर उसका डिसइंफेक्शन करना चाहिये. मकान की छतों को वैक्यूमक्लीनर से साफ करना चाहिये और इनमें दवाई छिड़कनी चाहिये. दीवारों के निचले हिस्से और फर्श को पानी से अच्छी तरह से भिगोना चाहिये और गोबर को खुरच लेना चाहिये. धोने के लिये सबसे उपयुक्त दबाव युक्त फुआरे या भाप की तीव्रधार का इस्तेमाल किया जाता हैत्र इसके बाद सतहों को धोने के सोडे के गरम पानी में बनाये 4 प्रतिशत घोल से धोना चाहिये और विसंक्रामक का छिड़काव करना चाहिये.
इस बात का भी ध्यान जरूर दें
जहां तक हो सके तेज गंध वाले डिसइंफेक्शन का उपयोग न किया जाए. बाड़े शुद्ध हवा का संचार रहना चाहिये. वहीं साफ दूध निकालने के लिये और दूध के उत्पादों को प्रदूषण से सुरक्षित रखने के लिये बड़ी सावधानी बरतनी चाहिये. दुहने केे दौरान स्वच्छ स्थिति में होना चाहिये. दूध दुहने की जगह बिलकुल साफ होनी चाहिये और जिस फर्श पर जानवर खड़ा होता है उसको पुआल और गोबर हटा देना चाहिए. यदि संभव हो तो पहले ही उसको अच्छी तरह से धो लेना चाहिये। दूध दूहने से पहले सूखी घास या अन्य चारा नहीं खिलाना चाहिये.
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