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Dairy: महाराष्ट्र के इस संगठन ने किसान आंदोलन का किया समर्थन, दूध पर मांगी एमएसपी

कम फाइबर के साथ अधिक कंसंट्रेट या अनाज (मक्का) के सेवन से अधिक लैक्टेट और कम वसा दूध होगा.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. महाराष्ट्र में कांदा उत्पादक संगठन के बाद अब एक और किसान यूनियन ने पंजाब-हरियाणा के किसान आंदोलन को समर्थन दिया है. इसके साथ ही संगठन ने दूध को न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी के दायरे में लाने की वकालत की है. गौरतलब है कि इस मांग को लेकर महाराष्ट्र के दूध उत्पादक किसान करीब 5 साल से सरकार से जंग लड़ रहे हैं. इतना ही नहीं विरोध में दो बार सड़कों पर उतर चुके हैं. इस संबंध में अखिल भारतीय किसान सभा के वरिष्ठ नेता डॉक्टर अजीत नवले का कहना है कि दूध को एमएससी के दायरे में लाए बिना पशुपालन घाटे का सौदा है और यह आगे भी रहेगा. क्योंकि अभी तो पशुपालकों की मेहनत का फल डेयरी वालों को मिल रहा है. किसानों को सिर्फ इस व्यवसाय से नुकसान उठाना पड़ रहा है.

डेयरियों को मिल रहा है फायदा
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में रोजाना 1 करोड़ 30 लाख लीटर दूध का उत्पादन किया जाता है. उत्पादन की आपूर्ति निजी क्षेत्र को जाती है. राज्य के पशुपालक 72 परसेंट दूध निजी क्षेत्र की डेयरी को बेचते हैं. बाकी का बचा हुआ दूध कोऑपरेटिव सेक्टर को जाता है. वर्तमान में एमएसपी न होने की वजह से दोनों ही सेक्टर दूध के प्राथमिक उत्पादकों का शोषण कर रहे हैं. इसलिए यह जरूरी है कि दूध को भी एमएसपी में लाया जाए.

50 रुपये हो दूध की कीमत
उन्होंने बताया कि दूध की लागत प्रति लीटर 42 रुपए तक आ रही है, क्योंकि हर सूखा चारा और पशु आहार सब काफी महंगा हो चुका है. पशु पालन करने वालों को सिर्फ 32 रुपये लीटर का दाम मिल रहा है. इसमें राज्य सरकार द्वारा दी गई 5 प्रति लीटर की मदद भी शामिल है. बावजूद इसके किसानों को नुकसान हो रहा है. दूध को घाटे में बेचने की वजह से किसान आंदोलन को मजबूर हैं. जबकि उपभोक्ताओं को दूध 70 रुपये लीटर तक दिया जा रहा है. मतलब है कि किसानों को मिलने वाले दम से दोगुना से भी ज्यादा. इसलिए हम चाहते हैं कि किसानों को अच्छी गुणवत्ता के दूध पर 50 रुपये लीटर में खरीदा जाए.

इसलिए कर रहे आंदोलन का समर्थन
पंजाब-हरियाणा में हो रहे किसान आंदोलन का समर्थन करने के बारे में उन्होंने कहा कि आम यह हमारी काॅमन मांग है. उन्होंने पूरे देश की किसानों के लिए सभी फसलों की एमएसपी खरीद गारंटी के कानून बनाने और सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद गारंटी का कानून बनाने और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसलों के भाव तय करने की वकालत की है. कहा कि इसमें किसानों का हित शामिल है. उन्होंने कहा कि किसानों और मजदूरों को कर्ज मुक्ति की मांग भी सारे किस संगठन करते रहे हैं. इसलिए हमारा इस आंदोलन को समर्थन है. एसपी की गारंटी मिलेगी तो पूरे देश के किसानों को भला होगा.

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