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Dairy Animal: डेयरी पशुओं की दूध से जुड़ी परशोनियों का इन फूल-पौधों से करें इलाज, पढ़ें तरीका

animal husbandary, neelee ravi Buffalo
नीली रावी का प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. पशुपालन में सबसे ज्यादा परेशानी बीमारियों के कारण होती है. पशु अगर बीमार पड़ जाएं तो परंपरागत तरीके से इसका उपचार किया जा सकता है. अगर पशुपालक चाहें तो अपने पशुओं की छोटे-मोटे रोगों को ठीक करने के लिए घर पर मौजूद कुछ जड़ी-बूटियों और आसपास मिलने वाले फूल—पौधों से इलाज कर सकते हैं. पशुपालकों के लिए छोटी-मोटी बीमारियों के मैनेजमेंट के लिए वैकल्पिक दवाओं की जानकारी करना बेहद ही अहम है. क्योंकि तुरंत पशुओं को पशु चिकित्सक से इलाज नहीं मिल पाता है. इसलिए जरूरी है कि इन घरेलू नुस्खों से इलाज करें.

बताते चलें कि इनमें से बहुत से उपचार कई एजेन्सियों जैसे बायफ, दक्षिण कर्नाटक के कुछ संघ, आईआईआरआर, विवेकानंद केंद्र की ओर से बताए गए हैं. फिर भी, यहां ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि जिस उपचार का उल्लेख यहां किया गया है. वह केवल परामर्श के लिए ही है और वह बीमारी के उपचार की गारंटी नहीं हो सकती. इन दिक्कतों का मूल कारण बीमारी हो सकती है. जिसके उपचार के लिए जांच पड़ताल की आवश्यकता हो सकती है. इसलिए पशु चिकित्सक की सलाह भी लेना अहम है.

थन में होती है ये दिक्कत
पशुओं को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है. कई बार पशु को थन में शोफ इडिमा हो जाता है. ऐसी अवस्था में धृताकुमारी, चूना या छुईमुई के पत्ते काम आते हैं. धृताकुमारी के दो से तीन पत्तियां लें उसे 50 ग्राम चुने के साथ मिला लें. 2-3 मुट्ठी छुईमुई की पत्तियां लेकर पेस्ट बना लें. दिन में दो बार चार बार पांच दिन तक लेप लगाएं. हमेशा ही दूध धोने के बाद लेप लगाएं. जल्द आराम मिल जाएगा.

टॉक्सीसिटी
पशुओं को अक्सर विषाक्ता जैसी दिक्कतें भी हो जाती है. इस कंडीशन में पैराफिन तेल, कच्चा लिनसीड तेल, प्राकृतिक वनस्पति तेल 1 लीटर और कोई भी तेल ले लें. दिन में एक बार पिलाने से पशुओं को आराम मिल जाता है. वहीं दूध नारियल पानी और कठकोयला भी फायदा करता है. 1 लीटर दूध या नारियल पानी 200 ग्राम कठकोयला 800 मिली पानी में मिला दिन में एक बार पिलाएं.

दूध न उतरने पर क्या करें
सही तौर पर थन में दूध न उतरने पर जेट्रोफा की पत्तियां दो से तीन मुठिया लेकर खिलाएं. धतूरा का एक फल लेकर रात में गर्म करके उसे भूनकर चोकर के साथ मसलें. केवल एक बार पिलाएं. दवा देने के बाद पशु को बाहर न छोड़े. इससे पशुओं को अराम मिल जाएगा. वहीं शतावरी भी फायदेमंद है. इसकी जड़ें दिन में बार 2 से 4 दिन तक देने से फायदा हो जाएगा.

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