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Trump Tariffs: इंडियन डेयरी को पटरी से न उतार दें टैरिफ की लड़ाई, जानें क्या बोले एक्सपर्ट

बड़े अमेरिकी फार्मों को भारी सब्सिडी दी जाती है, जो उन्हें भारत में खुले बाजारों के लिए लॉबिंग करने की इजाजत देता है.
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. आज पूरे दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में उथल-पुथल का माहौल है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ‘टैरिफ वॉर’ तमाम देशों के लिए मुसीबत बन गया है. भारत पर भी टैरिफ लगाने के दबाव के बीच देश के डेयरी क्षेत्र के लिए दांव ऊंचे हैं. भारत सरकार के शीर्ष नीति निर्माता इस बात से बहुत परेशान हैं, कि आयात प्रतिबंधों में कोई भी ढील या उन्मूलन देश के डेयरी उद्योग में पिछले तीन दशकों से बनी स्थिरता को बाधित कर सकता है. भारत दो दशकों से अधिक समय से सबसे बड़ा दूध उत्पादक रहा है, जो वैश्विक दूध उत्पादन में लगभग 25 प्रतिशत और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत का योगदान देता है। 2024 में देश में दूध उत्पादन 24 करोड़ मीट्रिक टन (एमटी) होने का अनुमान है. डेयरी क्षेत्र में 8 करोड़ से अधिक किसान लगे हुए हैं, कई ग्रामीण परिवार, विशेष रूप से छोटे किसान इसमें शामिल हैं.

इसके विपरीत, अमेरिकी डेयरी उद्योग बड़े फार्मों पर निर्भर है. जिसमें 2024 में केवल 24,470 फार्म लगभग 10 करोड़ एमटी दूध का उत्पादन करेंगे. 1970 के दशक में लगभग 6,00,000 से अमेरिकी डेयरी फार्मों की संख्या में नाटकीय रूप से कमी आई है. आज, इनमें से 45 प्रतिशत से अधिक फार्मों में कम से कम 2,500 गायें हैं, जबकि 1,000 से कम गायों वाले छोटे फार्मों में केवल 35 प्रतिशत शामिल हैं.

अमेरिकी फार्मों को भारी सब्सिडी दी जाती है: कृषि व्यापार विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने बताया कि बड़े अमेरिकी फार्मों को भारी सब्सिडी दी जाती है, जो उन्हें भारत में खुले बाजारों के लिए लॉबिंग करने की इजाजत देता है. भारतीय डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष आरएस सोढ़ी ने कहा कि अमेरिका अपने कृषि क्षेत्र को लगभग 3 हजार करोड़ डॉलर की सब्सिडी देता है. जिसमें से एक हजार करोड़ डॉलर विशेष रूप से कुछ डेयरी फार्मों के लिए है. जबकि भारत अपने 8 करोड़ डेयरी किसानों को कोई सब्सिडी नहीं देता है. सोढ़ी का मानना है कि सरकार को बातचीत के दौरान डेयरी क्षेत्र में राहत के लिए कोई जगह नहीं देनी चाहिए.

कोई भी बदलाव हमारे डेयरी क्षेत्र को पटरी से उतार सकता है: आरएस सोढ़ी ने बताया कि मौजूदा डेयरी नीति में कोई भी बदलाव हमारे डेयरी क्षेत्र को पटरी से उतार सकता है और लाखों डेयरी किसानों की आजीविका को खतरे में डाल सकता है. आखिरकार, प्रतिस्पर्धा समान भागीदारों के बीच होनी चाहिए, न कि असमान के बीच. 2023 में भारत को उपभोक्ता-उन्मुख तैयार-से-उपयोग डेयरी उत्पादों के अमेरिकी निर्यात का मूल्य 39 मिलियन था। हालांकि यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर की एक रिपोर्ट से पता चला है कि भारत की नीति प्रतिबंध और उच्च टैरिफ इस क्षेत्र में अमेरिका की बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने की क्षमता को सीमित करते हैं.

दो देश: असमान प्रतिस्पर्धा का मामला

किसानों की संख्या: भारत 80 मिलियन, अमेरिका 24,407

दूध का उत्पादन: 239 एमएमटी, 104 एमएमटी

औसत मवेशी/खेत: 2-5, 1000-2500

सब्सिडी: शून्य $ 10 बिलियन

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