Home मछली पालन Fisheries: मछली पालन और साफ पानी के लिए बड़ा खतरा है जलकुंभी, जानें इससे और कितने नुकसान होते हैं
मछली पालन

Fisheries: मछली पालन और साफ पानी के लिए बड़ा खतरा है जलकुंभी, जानें इससे और कितने नुकसान होते हैं

livestock animal news
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. आप सभी ने नदी, तालाब और जहां पर पानी इकट्ठा होता है वहां पर जलकुंभी जरूर देखी होगी. एक्सपर्ट के मुताबिक यह खतरनाक खरपतवार इंसानों को भी नुकसान पहुंचाती हे और मछली की ग्रोथ को भी प्रभावित करती है. इस खरपतवार के कारण पानी के सोर्स से बायो डायवर्सिटी (जैव विविधता) को खतरा होता है. इसकी वजह से पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. मछलियों में बीमारी पैदा होने लग जाती है. इतना ही नहीं पानी के रास्तों में इससे रुकावट होती है और कृषि और जलीय कृषि की पैदावार मेंं इससे दिक्कतें पैदा होती हैं.

एक्सपर्ट के मुताबिक जलकुंभी साफ पानी के लिए चुनौती है. यह देशी पौधों की प्रजातियों से मुकाबला करते हैं और उनकी ग्रोथ और विकास को कम कर देते हैं. वहीं जलीय बैक्टीरिया जीव-जन्तुओ, मत्स्य पालन पर गलत असर डालते हैं. जिसके कारण यह जलीय प्रजाति जलीय बायो डायवर्सिटी के लिए खतरा बनती जा रही है. यह पानी के वातावरण में सभी जलीय जीवों की विविधता, वितरण और संख्या को भी प्रभावित करती है. जलकुंभी के बढ़ते प्रकोप से पानी के सोर्स में ऐनेरोबिक स्थिति पैदा हो रही है और घातक गैसों का उत्पादन हो रहा है. जिससे जलीय वनस्पतियों, जीव-जंतुओं आदि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा हैं और धीरे-धीरे इनकी संख्या में कमी होती जा रही हैं जो पानी की बायो डायवर्सिटी के लिए खतरे का संकेत है.

पानी को नुकसान पहुंचाती है जलकुंभी
एक्सपर्ट के मुताबिक आमतौर पर देखा गया है कि मवेशी दरियाई घोड़ा भी चराई घास का चयन करते हैं लेकिन जल जलकुंभी नहीं चरते हैं. दरअसल, ये खरपतवार पानी में मर/सूख कर सड़ते हैं तो बहुत अधिक मात्र में जैविक पोषक तत्व पानी में छोडते हैं. जिससे पानी की गुणवत्ता में गिरावट, पेय जल स्रोतों में कमी और इंसानों की हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है. जलकुंभी तालाबों, झीलों और जलीय स्रोतों में बहुत तेजी से फैलती है. जिसकी वजह से सोर्स में ऑक्सीजन तेजी से घटती है. जिसका पानी वनस्पतियों और जीवों पर बुरा असर पड़ता है. ज्यादा जलकुंभी के कारण इनकी संख्या में कमी होना प्रारंभ हो जाती है.

कीटों के लिए प्रजनन स्थल
जिस पानी में जलकुंभी होती है वहां आसपास रोग पैदा करने वाले मच्छर और मोलस्क का प्रकोप अधिक देखने को मिलता है. क्योंकि जलकुंभी पानी में मच्छर और मोलस्क के प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है. ये 2008 के ही एक रिसर्च में साबित हो चुका है कि विक्टोरिया झील में फैली जलकुंभी में मलेरिया फैलाने वाले मच्छर के लार्वा को पनपने के लिए अनुकूल माहौल मिला और वहां मच्छर पनपे.

पानी के रास्तों में भी रुकावट बनती है
अपने तेजी प्रजनन और प्रसार दर के कारण, यह खरपतवार आमतौर पर जलमार्गों की सतह पर फैलकर उसे ढक देता है. जिससे पानी के रास्तों में भी रुकावट देखी जाती है और तैराकी, नौका जैसी पर्यटन और मनोरंजक गतिविधियां इससे ठप हो जाती हैं. सिंचाई वाले पानी के सोर्स में इस खरपतवार की डेनसिटी ज्यादा होने पर खेतों में आने वाले पानी के प्रवाह में रुकावट पैदा करता है. इस खरपतवार के बढ़ते प्रकोप कारण भारत की कई महत्वपूर्ण नहरें और सिंचाई प्रणाली कृषि को नुकसान पहुंचता है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news
मछली पालन

Fisheries: यहां पढ़ें मछली के साथ बत्तख पालने का क्या है फायदा और कैसे करें इसकी शुरुआत

बतखों को पोखर के रूप में साफ-सुथरा एवं स्वस्थ परिवेश और उत्तम...

fish market
मछली पालन

Fish Farming: मछली पालन में एंटीबायोक्टिक्स का क्या है फायदा और नुकसान, जानें यहां

सीवेज, कृषि और इंडस्ट्रीयल वेस्ट से प्रदूषित साफ पानी सहित समुद्री और...

cage culture fish farming
मछली पालन

Fish Farming: इन नई तकनीक के जरिए भी कर सकते हैं मछली पालन, यहां पढ़ें डिटेल

इसी तरह बढ़ते जलसंकट को दृष्टिगत कर आरएएस सिस्टम को बढ़ावा दिया...