नई दिल्ली. भले ही भारत दुनिया में दूध उत्पादन के मामले में नंबर वन है लेकिन इसके साथ ही कई चुनौतियां भी सामने आ रही हैं. इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सोढ़ी की मानें तो चारा कीमतों और इनपुट लागत में वृद्धि के कारण उत्पादन लागत लगातार बढ़ रही है. पिछले तीन वर्षों में, दूध की कीमतों में लगभग 22 फीसदी की ग्रोथ हुई है, जिसने उपभोक्ता भावना को प्रभावित किया है. अगर हमारी एफिशिएंसी में गिरावट जारी रहती है, तो इसका असर न केवल उत्पादन बल्कि खपत पर भी पड़ेगा. इस एफिशिएंसी को बनाए रखे बिना, किसान उत्पादन बढ़ाने से हतोत्साहित होंगे और उपभोक्ता बाजार की स्थिरता जोखिम में पड़ जाएगी.
भारत की अनूठी आपूर्ति श्रृंखला उद्योग की सफलता में एक महत्वपूर्ण कारक रही है. इसके बिना, यह क्षेत्र वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए संघर्ष करेगा और किसान इस व्यवसाय में आगे निवेश करने में हिचकिचाहट महसूस कर सकते हैं. भविष्य में इस उद्योग को स्थिर रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरूरत हो सकती है.
इन कदमों को उठाना है जरूरी
आरएस सोढ़ी का कहना है कि कुशल आपूर्ति श्रृंखला बनाए रखना जरूरी है. मूल्य श्रृंखला की एफिशिएंसी बनाए रखना, किसान और उपभोक्ता के बीच की दूरी को कम करना आवश्यक है. उत्पादन लागत को नियंत्रित करना भी जरूरी है. उत्पादन की बढ़ती लागत को नियंत्रित किया जाए ताकि किसान अपने व्यवसाय में निवेश कर सकें और उत्पादन बढ़ा सकें. डेयरी में दीर्घकालिक निवेश की जरूरत है. जिसमें बुनियादी ढांचे और ब्रांडिंग पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. ऑपरेशन फ्लड जैसी योजनाओं के तहत निवेश को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
नीतिगत समर्थन की है जरूरत
सरकार को किसानों और डेयरी उद्योग का समर्थन करने के लिए नीतिगत उपाय करने की जरूरत है, जिससे इस क्षेत्र में निवेश और विकास को बढ़ावा मिले. भारत का डेयरी उद्योग एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है. हमारे वर्तमान मॉडल की दक्षता को बनाए रखने और उभरती चुनौतियों का सक्रिय रूप से हल करने से, यह क्षेत्र न केवल अपने वैश्विक नेतृत्व को बनाए रख सकता है, बल्कि और भी मजबूत हो सकता है. इसे हासिल करने के लिए सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होगी, जो मुश्किलों को दूर करने और आगे आने वाले अवसरों हासिल करने के लिए सही है.
डेयरी व्यवसाय मुश्किल भी है और अहम भी
उन्होंने कहा कि भारत में डेयरी उद्योग मुश्किल और महत्वपूर्ण दोनों है, जो देश की स्वास्थ्य और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करते हुए लाखों किसानों को आजीविका प्रदान करता है. विभिन्न अपेक्षाओं और चुनौतियों से निपटने के साथ-साथ, उद्योग का भविष्य संभावनाओं से भरा हुआ है. हालांकि, इस क्षमता को साकार करने के लिए एक अच्छी तरह से समन्वित, दीर्घकालिक रणनीति की आवश्यकता होती है, जिसमें प्रत्येक हितधारक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. डेयरी क्षेत्र को वास्तव में सशक्त बनाने के लिए, सहयोग आवश्यक है. केवल एकीकृत प्रयासों के माध्यम से ही हम एक समृद्ध, स्वस्थ और सुपोषित भारत के सपने को प्राप्त कर सकते हैं.
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