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Zoonotic Disease: स्कूली बच्चों को बताया क्या हैं जूनोटिक बीमारियां, कैसे बचें दी गई जानकारी

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गोयनका पब्लिक स्कूल में किया गया जागरुक.

नई दिल्ली. जूनोटिक जिसे जूनोसिस भी कहा जाता है ये पशुओं से इंसानों में होने वाली रोग होते हैं. पिछले कुछ वक्त पहले जब कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया तो जूनोटिक रोगों की चर्चा शुरू हो गई और इसको लेकर लोगों को जागरुक भी किया जाने लगा. वहीं यूपी के बरेली में रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के बारे में छात्रों के साथ-साथ आम जनता के बीच सामान्य जागरूकता पैदा करने के मकसद से आईवीआरआई का पशु जन स्वास्थ विभाग अक्सर कार्यक्रम करता है. वहीं विभाग के वैज्ञानिक डॉ हिमानी धांजे ने रोटरी क्लब, इज्जतनगर के सहयोग से डी. गोयनका पब्लिक स्कूल और केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर बरेली में जागरूकता कार्यक्रम में छात्रों और टीचर्स को जागरुक किया.

इस दौरान डॉ. धांजे ने बताया की विश्व स्तर पर ज़ूनोटिक रोगों से हर साल बीमारी के लगभग एक अरब मामले और लाखों मौतें होती हैं. इसे ज़ूनोसिस भी कहते हैं और इन्हें उन संक्रमणों और बीमारियों को कहते है जो रीढ़ वाले पशुओं और इंसानों के बीच स्वाभाविक रूप से संचरित होते हैं. ज़ूनोसिस को आम भाषा में पशुजनित रोग भी बोलते हैं. मनुष्य और पशुओं की दिन-प्रतिदिन की निकटता मानव जीवन को जूनोटिक संक्रमणों से खतरे में डालती है.

उन्होंने कहा कि अक्सर जीवाणु, विषाणु, कवक, परजीवी, रिकेट्सिया और क्लैमाइडिया के कारण पशुजनित रोग हो सकते है. सभी मानव रोगजनकों में से कम से कम 61 फीसदी पशुजनित रोग हैं, और पिछले एक दशक के दौरान सभी रोग में 75 फीसदी जूनोटिक रोग ही है. उन्होंने बताया कि कई तरीकों से जूनोटिक/ पशुजनित रोग फैलते हैं. संक्रमित पशु के साथ सीधे संपर्क के माध्यम से, एयरोसोल/छोटी बूंद के संक्रमण के माध्यम से, शरीर के स्राव के साथ संपर्क जैसे लार, रक्त, या संक्रमित पशु के अन्य शरीर द्रव, जानवर के काटने के माध्यम से. अगर अप्रत्यक्ष संपर्क की बात करे तो अप्रत्यक्ष संचरण वैक्टर, वाहन जैसे दूषित भोजन, पानी और वायु-जनित या फोमाइट-जनित संचरण के माध्यम से होता है.

बायों सिक्योरिटी है जरूरी
एक्सपर्ट कहते हैं कि जूनोटिक रोगों से बचने के लिए बॉयो सिक्योरिटी बहुत जरूरी है. अगर किसी के पास पेट्स हैं या फिर दूसरे पशु हैं तो उन्हें छूने से पहले हाथों को सेनेटाइज करना बहुत जरूरी है. अगर पशुओं को छू लिया है तो फिर उनके छूने के बाद हाथों को सेनेटाइज करना चाहिए. इसके अलावा ग्लब्स का भी इस्तेमा किया जा सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि थोड़ी सी जागरुकता और एहतियात की जाए तो फिर जूनोटिक बीमारियों से खुद को और अपने सामाज को सेफ किया जा कसता है.

कई गंभीर बीमारियों ने पसारे पैर
पिछले कुछ वक्त पहले दुनियाभर में तबाई मचाने वाली कोरोना वायरस की बीमारी भी जूनोटिक बीमारी में ही आती है. इसको लेकर हुई कई रिसर्च में ये साफ चुका है कि कोरोना वायरस जानवरों के जरिए ही इंसानों में पहुंची थी. इस बीमारी से लाखों लोगों ने जाने गंवाईं. इसके अलावा इबोला वायरस, जीका वायरस, रैबीज जैसे कई खतरनाक बीमारियां जो जूनोटिक कही जाती हैं.

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