नई दिल्ली. पशुओं के चारे के तौर पर अजोला तेजी के साथ लोकप्रिय होता जा रहा है. या एक प्रकार का जलीय फर्न है. इसका इस्तेमाल पशु के आहार के रूप में किया जाता है. इसे गाय, भैंस, बकरी, भेड़, मछली और मुर्गियों आदि को दिया जा सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इसमें प्रोटीन, खनिज लवण, अमीनो अम्ल, विटामिन ए, विटामिन बी, और बीटा कैरोटीन आदि की प्रचुर मात्रा होती है. अजोला के तौर पर चारा उत्पादन कम समय, स्थान और लागत में किया जा सकता है. कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो दूध के उत्पादन की लागत को कम करने के साथ-साथ किसानों की आय को बढ़ाने में यह मददगार साबित हो सकता है.
घर की छत पर कर सकते हैं उत्पादन
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक आने वाले समय में हरे और सूखे चारे की मांग काफी बढ़ जाएगी. इस मांग को पूरा करने के लिए चारे की आपूर्ति को प्रतिवर्ष 1.69 प्रतिशत की दर से बढ़ाने की जरूरत है. हालांकि दो, तीन दशकों से चारे की फसलों के तहत क्षेत्रफल केवल 8.4 मिलियन हेक्टेयर पर ही स्थित है. ऐसे में पशुधन की मांग को पूरा करने के लिए अजोला फर्न फायदेमंद साबित हो सकता है. दरअसल, ये आसान, सस्ता और लाभकारी विकल्प है. पशुपालक अजोला का उत्पादन अपनी आवश्यकता अनुसार आसपास की खाली पड़ी जमीन पर घर की छत पर भी कर सकते हैं.
पशुओं के लिए है बेहतरीन चारा
अजोला का उत्पादन पशुपालक का कम खर्च, कम समय, कम स्थान लेता है. वहहीं बिना किसी आधुनिक तकनीक के साथ अनुकूल परिस्थितियों में साल भर इसकी खेती कर सकते हैं. इसमें अधिक पोषक तत्व के कारण इसे पूरक रूप से खिलाया जा सकता है, जो दूध की उत्पादन की लागत को कम करता है. पशुपालकों की शुद्ध आय को बढ़ाने के लिए काम करता है. इसे खिलाने से पशुओं में आवश्यक अमीनो अम्ल, विटामिन ए, विटामिन बी तथा बीटा कैरोटीन एवं खनिज लवण जैसे कैल्शियम फास्फोरस, 12 पोटेशियम, आयरन की आवश्यकता पूरी होती है.
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