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Fisheries: एक्वाकल्चर पर एंटीबायोटिक दवाओं का क्या होता है असर, इंसानों की हेल्थ के लिए भी है नुकसानदेय

rohu fish
रोहू मछली की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. एमपीईडीए के क्षेत्रीय प्रभाग, कोलकाता ने “एक्वाकल्चर में प्रतिबंधित एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग” के खिलाफ दो अभियान आयोजित किया. जलीय कृषि, निर्यात और अंततः मानव स्वास्थ्य पर प्रतिबंधित एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिकूल प्रभावों के बारे में किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किए गए हर एक कार्यक्रम में बीस किसानों की सक्रिय भागीदारी देखी गई. आयोजित कार्यक्रमों में कई एक्सपर्ट भी शामिल हुए और महत्वपूर्ण मुद्दे और जिम्मेदार कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने पर उन्होंने जोर दिया.

अप्रूव्ड इनपुट के इस्तेमाल के लिए कहा
पहले अभियान में झरखली, बसंती, दक्षिण 24 परगना, पश्चिम बंगाल के किसान शामिल हुए, जबकि दूसरे कार्यक्रम में मल्लिकघेरी, मिनाखान, उत्तर 24 परगना, पश्चिम बंगाल के प्रतिभागियों का स्वागत किया गया. दोनों अभियानों में, एमपीईडीए के जेटीओ, के. रमनजनेयुलु ने प्रतिबंधित एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिकूल प्रभावों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान की, और खेत पर केवल तटीय एक्वाकल्चर अथॉरिटी (सीएए) द्वारा अप्रूव्ड इनपुट का उपयोग करने के महत्व पर जोर दिया. प्रतिबंधित एंटीबायोटिक दवाओं के बारे में बंगाली में सूचनात्मक पुस्तिकाएं वितरित की गईं.

समुद्री सुरक्षा प्रोटोकॉल पर हुई बातचीत
एमपीईडीए-नेटफिश भुवनेश्वर ने एससी/एसटी समुदायों के मछुआरों के लिए एमपीईडीए की क्षमता निर्माण पहल के तहत “जैव सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वच्छता पहलुओं” पर चार अलग-अलग एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया. वहीं श्रीजगनाथ पी.एफ.सी.एस, चिल्का, खुर्दा जिले में दो अलग-अलग प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए और इसके बाद एमएए बसंताई पीएफसीएस, चिल्का, खुर्दा जिले में एक और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसी तरह का एक प्रशिक्षण कार्यक्रम सखीगोपीनाथ पीएफसीएस, चिल्का में आयोजित किया गया था. हर कार्यक्रम में तीस मछुआरों ने सक्रिय रूप से भाग लिया. यहां शुभ्रकांत महापात्र, एससीओ, एमपीईडीए-नेटफिश ओडिशा, और श्री हरेकृष्ण खताई, एक संसाधन व्यक्ति, ने मछली पकड़ने की स्थायी प्रथाओं, खाद्य सुरक्षा, मत्स्य पालन में स्वच्छ प्रथाओं, पकड़ के उचित प्रबंधन, फसल के बाद के नुकसान की रोकथाम, समुद्री सुरक्षा प्रोटोकॉल पर बात की.

मछली पकड़ने की टिकाऊ कार्य के बारे में बताया
वहीं एमपीईडीए-नेटफिश भुवनेश्वर ने एससी/एसटी समुदायों के मछुआरों के लिए एमपीईडीए की क्षमता निर्माण पहल के तहत “जैव सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वच्छता पहलुओं” पर तीन अलग-अलग एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए. एक कार्यक्रम हरिहर जनमंगला पीएफसीएस, चिल्का, पुरी जिले में, चिल्का में बिप्लबिनी पीएफसीएस में और तीसरा लक्ष्मीनारायण पी.एफ.सी.एस, चिल्का, खुर्दा जिले में आयोजित हुआ. यहां एक संसाधन व्यक्ति, ने मछुआरों के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर जरूरी व्याख्यान दिए गए. विविध प्रकार के विषयों में खाद्य सुरक्षा, स्वच्छता प्रथाएं, पकड़ का उचित प्रबंधन, फसल कटाई के बाद नुकसान की रोकथाम, समुद्री सुरक्षा प्रोटोकॉल, टिकाऊ मछली पकड़ने के कार्य और उपकरण/सुविधाओं का कीटाणुशोधन शामिल हैं.

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