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Animal Husbandry: पशु के पेट में कीड़े पड़ने से क्या होता है नुकसान, लक्षण और इलाज भी पढ़ें यहां

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. जानवरों को सबसे ज्यादा दिक्कत बीमारी की वजह से होती है. इससे वह दूध उत्पादन भी कम कर देते हैं. अक्सर देखा गया है कि पशुपालक पशुओं की बीमारी को लेकर बहुत परेशान रहते हैं. पशुओं को होने वाली तमाम ​बीमारियों में से एक उनके पेट में कीड़े पड़ जाने की बीमारी भी है. इस बीमारी में पशुपालक पशु को जो कुछ भी खिलाते हैं उसका बड़ा हिस्सा कीड़े खा जाते हैं. जिससे पशुओं को भरपूर पोषक आहार नहीं मिल पाता और उनका दूध उत्पादन घट जाता है.

एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि जानवरों के पेट में होने वाले कीड़े उसे दिए गए भोजन का 30 से 40 फीसदी हिस्सा चट कर जाते हैं. पेट में कीड़े पड़ने से जानवरों का स्वास्थ्य कमजोर होता है साथ ही उनके पालने वालों को भी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है. जानवरों के पेट में होने वाले कीड़ों की जानकारी नहीं है तो इस वजह से पशुपालक उन्हें कीड़े की दवा भी नहीं दे पाते और समस्या ज्यादा गंभीर होती जाती है. जबकि पशुपालक को अपने जानवरों को हर 3 महीने पर पेट के कीड़े की दवा देना चाहिए, जो बहुत ही जरूरी है. इससे पशुपालक अपना नुकसान होने से बचा सकते हैं.

क्या है पेट में कीड़े होने के लक्षण
अगर आपका जानवर अचानक मिट्टी खाने लगे तो सब मत जाइए कि उसके पेट में कीड़े हो गए हैं. अगर पशु सुस्त और कमजोर दिखता है तो इसका मतलब भी पेट में कीड़े होना है. अगर उसे मटमैले रंग का बदबूदार दस्त आता है तो पेट में कीड़े होने के लिए भी वजह से ऐसा है. गोबर में काला खून और ​कीड़े दिखना चारा खाने के बाद भी शरीर पर कोई असर नहीं दिखना लेकिन पेट बड़ा दिखना, पशु में खून की कमी होना और अचानक दूध कम कर देना, गर्भधारण में परेशानी यानी अगर पशु के पेट में कीड़े मारने की दवाई नहीं दी जाती तो पशु गर्भधारण नहीं कर पाता है.

कैसे करें पेट के कीड़े का इलाज
हर 3 महीने पर जानवरों को पेट के कीड़े मारने की दवा डीवेरमैक्स देना चाहिए. जानवरों के गोबर की जांच करने के बाद ही पेट की कीड़ों की दवा दी जा सकती है. जानवरों के गोबर की जांच बहुत ही जरूरी है. इसके लिए गोबर को एक छोटी डिब्बी में इकट्ठा करें. बीमार और कमजोर जानवरों को अच्छी वेटरनरी की सलाह पर ही कीड़े मारने की दवा दें. वैक्सीनेशन यानी टीकाकरण करवाने से पहले कीड़ों की दवाई जरुर दे दें. टीकाकरण के बाद दवा न दें. अगर वैक्सीन की बाद दे रहे हैं तो तुरंत न देकर 15 दिन के बाद दवा खिलाएं. जानवरों को शुद्ध चारा एवं दाना खिलाएं उन्हें साफ पानी पिलाएं.

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