नई दिल्ली. भारत में लगातार जलकृषि के क्षेत्र मे अपनी मजबूत होता चला जा रहा है. हाल ही में जारी हुए बजट में सरकार ने इम्पोर्ट ड्यूटी को घटा दिया है, ताकि इस क्षेत्र में और ज्यादा लोग जुड़ें और मछली पालन में हाथ आजमा कर अपनी इनकम बढ़ा सकें. भारत सरकार की मंशा है कि एक्सपोर्ट कारोबार को 65 हजार करोड़ से बढ़ाकर एक लाख करोड़ रुपये का कर दिया जाए. एक्सपर्ट का कहना है कि ये भारत में संभव भी नजर आता है. क्योंकि कई राज्य मीठा पानी जलकृषि को अपना रहें हैं. भारत में मीठे पानी का क्षेत्र, तालाबों, जलकुंन्डों, नहरों, जलाशयो, झीलों के रूप में कृषि के लिये बड़ी मात्रा में उपलब्ध है.
नियंत्रित अवस्थाओं में जलीय जीवों के पालन को जलकृषि कहते हैं. मछली पालन की बात की जाए तो तो एक पौष्टिक आहार है, जिसमें प्रोटीन की उच्च मात्रा 30 से 40 फीसदी तक होती है. मत्स्य कृषि रोजगार व आय अर्जित करने का एक अच्छा साधन है. एक हेक्टेयर के तालाब से प्रतिवर्ष कम से कम 50- 60 हजार रुपये तक की आय अर्जित की जा सकती है. कार्प जलकृषि के लिये कतला, रोहू, ब्रिगल, सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प तथा कॉमन कार्प प्रचलित कार्प प्रजातियां हैं, जिन्हें पालकर अच्छी कमाई की जा सकती है.
सही समय पर दें फीड
एक्सपर्ट का कहना है कि मछलियों की ग्रोथ और ज्यादा प्रोडक्शन के लिए जरूरी है कि समय-समय पर उन्हें उचित मात्रा में फीड दिया जाए. फीड देने तक की बात तो ठीक है लेकिन इसको देने का सही समय भी है. अगर सही समय पर फीड न दिया जाए तो भी मछली पालन में फायदे की जगह नुकसान हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि हर मछली पालक ये जान ले कि मछलियों को फीड देने का सही समय क्या है.
मछली आहार देने का समय क्या है
- मछली को आहार सुबह या शाम को पानी का तापमान कम होने पर देना चाहिए और आहार देते समय एक दिन में आधी मात्रा दें.
- कृत्रिम आहार, इस आहारमें जीवों तथा वंनस्पतियों का उपयोग किया जाता है.
- प्राणिजन्य आहार मछली का चूरा, झिंगा का चूरा, रेशम के कीड़ों के बच्चे.
- वंनस्पति आहार मूंगफली की खली / सरसो की खली / सोयाबीन की खली और अधिक चावल का भूसा / गेहूं की भूसी 1:1 अनुपात में दें.
- आहार का दर मछली को उसके वजनका 5% से 10% मात्रा के दर से आहार दें उदा. 1 किलो कि मछली को 50 से 100 ग्राम आहार दें.
- अगर इसे एक हेक्टर के हिसाब से जोड़ा जाए तो इस हिसाब से 1 हेक्टर तालाब के लिए 1 से 1.5 टन आहार प्रति वर्ष लगता है.
- मछली की संचयन सघनता का प्रमाण ज्यादा होने पर और दूषित कृत्रिम खाद्य देने से मछलियों मे बिमारी की संभावना होती है.
- बैलेंस्ड में पोषक तत्वों कि कमी व जलीय प्रदूषण के कारण मछली में कमजोरी आती है.
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