नई दिल्ली. पोल्ट्री कारोबार से भी किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं. इससे काफी अच्छी इनकम होती है. मुर्गियों के अंडे और मीट से कमाई की जाती है. अगर आप पोल्ट्री फार्मिंग करना चाहते हैं तो ग्रामप्रिया नस्ल की मुर्गी को भी पाल सकते हैं. इस नस्ल की विशेषता ये है कि ये बहुरंगीय पंख की होती हे और मध्यम शरीर भार होता है. जबकि बेहतर अंडे देने की क्षमता इसके अंदर होती है. खुद को मौसम के हिसाब से अनुकूल बना लेती है. अगर इस मुर्गी के साथ घर-आंगन में भी लो लेवल पर पोल्ट्री फार्मिंग शुरू करना चाहते हैं तो कर सकते हैं.
एक्सपर्ट कहते हैं कि पर्यावरण के तापमान पर निर्भर करते हुए शुरुआत में 4/6 सप्ताह की उम्र के दौरान ग्रामप्रिया के लिए ब्रडिंग जरूरी है. इस उम्र की ग्रामप्रिया पक्षियों के लिए संतुलित खाद्य, व्यापक स्वास्थ्य देखभाल और प्रबंधन, कामर्शियल लेयर चूजों की तरह ही करनी पड़ती है. आइए जानते हैं कैसे इस मुर्गी से पोल्ट्री फार्मिंग शुरू कर सकते हैं.
कैसे करें नर्सरी यूनिट की तैयारी
एक्सपर्ट के मुताबिक नर्सरी यूनिट की तैयारी के लिए करीब 2-3 इंच की मोटाई तक साफ कूड़ा सामग्री (धान की भूसी / लकड़ी का चूरा) को फर्श पर फैलाएं. चूजों को कूड़े खाने से रोकने के लिए कूड़े के ऊपर समाचार पत्र फैलाएं. खाने वाली चीजों और पानी के बर्तन को वैकल्पिक रूप से व्यवस्थित किया जाना चाहिए.
हीट की पड़ती है जरूरत
चूजा 6 सप्ताह की उम्र तक पर्याप्त है. ज्यादा ठंडे मौसम में, कोयल के जरिए हीट दी जा सकती है. जब पर्यावरण का तापमान पक्षियों की आवश्यकता से ज्यादा होता है तो चूजे हीट के सोर्स से दूर चले जाते हैं. यदि बहुत ठंड है, तो चूजे हीट सोर्स के पास जाकर इकट्ठा हो जाते हैं. चिक गार्ड को होवर के किनारे से 3 फीट दूर स्थित होना चाहिए.
किस तरह का फीड दिया जाना चहिए
नर्सरी के दौरान जयरी खनिजों और विटामिनों के साथ संतुलित खाना दिया जाना चाहिए. 2400 किलोग्राम एमई किया, 18 फीसदी सीपी, 0.85 फीसदी लाइसिन, 0.38 फीसदी मॅथीयोनीन, 0.7 फीसदी कैल्शियम और 0.35 फीसदी गैर-फाइटेट फास्फोरस युक्त फूड का उपयोग करके मुर्गियों का खाना तैयार किया जाना चाहिए. चूंकि इस पक्षी के लिए पोषक तत्व की आवश्यकता अपेक्षाकृत कम है. इसलिये मक्का के वैकल्पिक फीड जैसे बाजरा, ज्वार, कोरा, रागी, टूटे चावल, टैपिओका और सोयाबीन फीड के आप्शन के तौर पर सूरजमुखी केक, मूंगफली केक, तिल केक, मक्का ग्लूटीन फीड का इस्तेमाल किया जा सकता है. सभी पक्षियों की खाद्य तक आसानी से पहुंच हो सके, इसको सुनिश्चित करना जरूरी है.
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