नई दिल्ली. मीट का सेवन करने वाले उपभोक्ताओं को हेल्दी और संपूर्ण भोजन की आपूर्ति करने के लिए पौष्टिक मांस का उत्पादन अति आवश्यक है. यह आजकल अधिक रिलिवेंट भी है. क्योंकि उपभोक्ता इस बारे में बहुत अधिक सजग हैं कि वे क्या खाते हैं. इसका उत्पादन कैसे किया जाता है और क्या कोई भोजन विशेष का सेवन कुछ स्वास्थ्य परेशानी उत्पन्न कर सकता है. इसलिए पशु फार्म से लेकर हमारे घरों तक पहुंचने तक हर कदम पर सुरक्षित और स्वास्थ्यकर मांस के उत्पादन और उसके प्रसंस्करण का ध्यान रखा जाना चाहिए.
क्लीन मांस उत्पादों का उत्पादन करने के लिए उचित स्वास्थ्यकर उपाय आवश्यक हैं. अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों को मांस सहित खराब ख़राब कच्चे माल से प्रोसेस्ड नहीं किया जा सकता हैं. कुछ ऐसे कारक हैं, जिनका नीचे जिक्र किया गया है. जिन्हें मांस उत्पादों के प्रोसेसिंग के दौरान ठीक से फॉलो करना चाहिए. जिनकी अनदेखी करने से उत्पाद संदूषित हो सकता हैं.
यहां पढ़ें क्या—क्या करना चाहिए
जितना हो सके हमेशा साफ और रोगाणुहीन (स्टेरल) सामग्री का ही इस्तेमाल करें.
चॉपिंग स्लैप और मीट कटिंग बोर्ड अच्छी तरह से साफ और कीटाणुरहित (स्टेरल) होना चाहिए.
प्रोसेसिंग पर्यावरण को हमेशा सूखा और साफ रखें.
प्रोसेसिंग उपकरण को साफ और कीटाणुरहित किया जाना चाहिए.
यहां भी पर्सनल हाइजीन बेहद ही जरूरी है.
प्रोसेसिंग करते समय अत्याधिक मैनुअल हैंडलिंग से बचा जाना चाहिए.
मांस उत्पादों को पर्याप्त रूप से पकाएं ताकि वांछित कोर तापमान प्राप्त किया जा सके.
प्रोसेसिंग के बाद उत्पादों की कम से कम हैंडलिंग होना चाहिए और जितनी जल्दी हो सके इन्हे पैक किया जाना चाहिए.
मीट उत्पादों के भंडारण और पारगमन के दौरान उचित कोल्ड चेन बनाए रखना चाहिए.
मीट प्रोडक्शन में इन बातों का रख जाता है ख्याल
आपको बताते चलें कि मीट उत्पादन तेजी के साथ बढ़ रहा है. युवाओं में जागरुकता बढ़ी है, इस वजह से इसके सेवन करने वालों की संख्या भी दिन ब दिन बढ़ रही है. जबकि इसकी क्वालिटी को लेकर भी लोगों में जागरुकता देखने को मिली है. वहीं दूसरे देशों में एक्सपोर्ट किए जा रहे मीट का कनसाइनमेंट वापस न आए, इसलिए भी जरूरी है कि जितना भी मीट का प्रोडक्शन हो रहा है वो क्वालिटी से भरपूर रहे. साफ-सफाई के साथ-साथ जरूरी बातों का ध्यान रखा जाए. एक्सपर्ट कहते हैं कि क्वालिटी और क्लीन मीट के प्रोडक्शन में पांच फैक्टर कारक होते हैं. इसमें पशु का स्वास्थ्य, कार्मिक आदत, पानी की गुणवत्ता, कीट नियंत्रण और सफाई व सेनीटेशन. अगर मीट प्रोडक्शन में इन बातों का ध्यान रख दिया जाए तो फिर कोई मसला नहीं है. आइए इसके बारे में जानते हैं.
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