नई दिल्ली. पशुपालन में सबसे ज्यादा नुकसान पशुओं की बीमारी की वजह से होता है. हालांकि बीमारी से बचने के लिए सबसे जरूरी ये है कि पशुओं की समय-समय पर साफ-सफाई की जाए और पशुशाला को साफ-सथुरा रखा जाए. वहीं पशुशाला में डिसइन्फेक्शन यानि पशुओं को इंफेक्शन से बचाना बेहद ही जरूरी होता है. इसको करने से काफी हद तक पशुओं को बीमार होने से बचाया जा सकता है. इसलिए पशुशाला को समय-समय पर डिसइन्फेक्शन किया जाना चाहिए. इसका क्या तरीका है और किस तरह का डिसइन्फेक्शन किया जाए इसकी जानकारी जरूरी है. आइए इस बारे में जानते हैं.
डिसइन्फेक्शन का मतलब है किसी स्थान से रोगजनक सूक्ष्मजीवों का खत्म करना. ताकि पशुओं के बांधने की जगह संक्रमण मुक्त हो जाए और पशु बीमार न हों. डिसइन्फेक्शन को फिजिकल, केमिकल और गैसीय कैटेलिस्ट की मदद से किया जा सकता है. रासायनिक कीटाणुनाशक पशु चिकित्सा पद्धति में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं. क्योंकि उनके जलीय घोल तैयार करना आसान है. रासायनिक कीटाणुनाशक सस्ते हैं और व्यापक स्तर पर कार्य करते हैं. यह अच्छे कीटाणुनाशक होते हैं जो न तो दाग और न ही अन्य सामग्री को नुकसान पहुंचाते हैं और अवांछनीय बदबू से भी मुक्त होते हैं.
डिसइन्फेक्शन के लिए इन केमिकल का करें इस्तेमाल
इसके लिए बोरिक एसिड 4-6 प्रतिशत का इस्तेमाल करें. सोडियम हाइड्रोक्साइड 1, 2 और 5 प्रतिशत यूज करें और कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड चूने का पानी, बुझा हुआ चूना आमतौर पर पशु आवास की डिसइन्फेक्शन के आसानी से बाजार में मिल जाता है.
पशुशाला में फॉर्मलडिहाइड 5-10 प्रतिशत का उपयोग पशु घरों का फर्श धोने के लिए किया जा सकता है. इससे फर्श पूरी तरह से स्वच्छ हो जाएगा. वहीं ग्लूटारएल्डेहाइड 2 प्रतिशत जलीय घोल उपकरणों के कीटाणुशोधन बेहद ही असरदार होता है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि क्वाटरनरी अमोनियम यौगिक सेवलोन डिटर्जेंट और साबुन है, जो मुख्य रूप से कपड़े धोने के लिए उपयोग में लाया जाता है. ये तेल, गंदगी और अन्य कार्बनिक पदार्थों को हटाते हैं.
ब्लीचिंग पाउडर यानि कैल्शियम हाइपोक्लोराइट, कॉपर सल्फेट 5 मिलीग्राम प्रति लीटर और पोटेशियम परमँगनेट 1-2 मि.ग्रा. प्रति लीटर का इस्तेमाल करके कीटाणु को खत्म किया जा सकता है. वहीं कैल्शियम ऑक्साइड का उपयोग मृत पशुओं को गड्ढे में दबाने में किया जाता है.
5 प्रतिशत फेनाइल के साथ मिश्रित बुझा हुआ चूने का उपयोग आमतौर पर कीटाणुनाशक के रूप में दीवारों की सफेदी में करना बेहद ही असरदार होता है.
25 लीटर पानी के साथ 1 किलो ब्लीचिंग पाउडर (क्लोरीनयुक्त चूना) का उपयोग किया जा सकता है जो बहुत खुशबू पैदा करता है.
फेनॉल (0.5 से 5 प्रतिशत) और सोडियम कार्बोनेट (2.5-4 प्रतिशत) का उपयोग पशु आवास की इमारतों के लिए किया जा सकता है.
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