नई दिल्ली. पशुपालनन में कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) के कई फायदे हैं. यही वजह है कि इस पर काफी जोर दिया जा रहा है. वहीं नेचुरल तरीके से गर्भाधान में कई दिक्कतें होती हैं जबकि कृत्रिम गर्भाधान में फायदा ज्यादा है. जहां इस तरीके से उन्नत नस्ल का पशु हासिल किया जा सकता है. वहीं सांड के एक सीमन से हजारों की संख्या में गाय या भैंस को गर्भित किया जा सकता है. जहां इसके तमाम फायदे हैं तो वहीं कुछ सीमाएं यानि लिमिटेशन भी हैं. इस आर्टिकल में हम कृत्रिम गर्भधान के फायदे और इसकी सीमाओं के बारे में आपको बताएंगे.
आर्टिकल को पढ़कर आपको अंदाजा हो जाएगा कि कृत्रिम गर्भाधान कराना सही है या नेचुरल तरीका ही अपनाना सही है. आइए इस बारे में डिटेल से जानते हैं. पहले फायदे के बारे में जान लेते हैं उसके बाद इसकी लिमिटेशन के बारे में पढ़ेंगे.
कृत्रिम गर्भाधान के फायदे
(1) कृत्रिम गर्भाधान तकनीक द्वारा अच्छी क्वालिटी वाले सांड़ का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जा सकता है. प्राकृतिक तरीके में एक सांड़ द्वारा एक वर्ष में 50-60 गाय या भैंसों को गर्भित किया जा सकता है. जबकि कुत्रिम गर्भाधान से एक सांड के सीमन से एक वर्ष में हजारों की संख्या में गायों या भैंसों को गर्भित किया जा सकता है.
(2) इस विधि में पैसों और श्रम दोनों की बचत होती है. क्योंकि पशु पालक को सांड पालने की जरूरत नहीं पड़ती है.
(3) इस प्रक्रिया में बहुत दूर यहां तक कि विदेशों में रखे उत्तम नस्ल व गुणों वाले सांड के सीमेन को भी गाय व भैंसों में इस्तेमाल किया जा सकता है.
(4) यहां तक की उन्नत नस्ल के सांड के सीमेन को उसकी मृत्यु के बाद भी प्रयोग किया जा सकता है.
(5) इस विधि में उत्तम गुणों वाले बूढ़े या घायल सांड का प्रयोग भी प्रजनन के लिए किया जा सकता है.
(6) कृत्रिम गर्भाधान में सांड के आकार या भार का मादा के गर्भाधान के समय कोई फर्क नहीं पड़ता है.
(7) इस तरीके में विकलांग गायों और भैसों का प्रयोग भी प्रजनन के लिए किया जा सकता है.
(8) कृत्रिम गर्भाधान में नर से मादा तथा मादा से नर में फैलने वाले संक्रामक रोगों से बचा जा
सकता है.
(9) इस तरीके में सफाई का खास ख्याल रखा जाता है. जिससे मादा की प्रजनन की बीमारियों में काफी हद तक कमी आ जाती है और गर्भ धारण करने की दर भी बढ़ जाती है.
(10) इस विधि में पशु का प्रजनन रिकार्ड रखने में भी आसानी होती है.
कृत्रिम गर्भाधान की क्या हैं सीमाएं
(1) कृत्रिम गर्भाधान के लिए ट्रेंड व्यक्ति या पशु चिकित्सक की जरूरत होती है. कृत्रिम गर्भाधान के लिए तक्नीशियन को मादा पशु प्रजनन अंगों की जानकारी होना जरूरी है.
(2) इस तरीके में खास मशीनों की जरूरत पड़ती है.
(3) इसमें लापरवाही बरतने तथा सफाई का विशेष ध्यान न रखने से गर्भ धारण की दर में कमी आ जाती है.
(4) इस विधि में यदि पूरी तरह से सावधानी न बरती जाये तो दूर के क्षेत्रों अथवा विदेशों से वीर्य के साथ कई संक्रामक बीमारियों के आने का भी खतरा रहता है.
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