नई दिल्ली. पशु चाहे वो कोई भी चाहे, वो गाय-भैंस हो या फिर भेड़-बकरियों सभी को सालभर हरा चारा खिलाना पशु पालकों के लिए मुश्किल टास्क होता है. हालांकि हरा चारा पशुओं के लिए जरूरी होता है. क्योंकि इसमें तमाम वो गुण हैं जो पशुओं के दूध और मीट को गुणवत्तापूर्ण बनाते हैं. आमतौर पर जब बारिश होती है तो भरपूर हरा चारा उपलब्ध होता है, जिसे खिलाया जा सकता है लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात ये होती है कि उसकी भी एक मात्रा होती है. क्योंकि उस दौरान हरे चारे में पानी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. यदि बकरी इस चारे को ज्यादा खा लेती है तो उसे डायरिया हो जाता है. बता दें कि बकरियों का नेचर है कि वो डाल से पत्ती तोड़कर खाना ज्यादा पसंद करती हैं.
वहीं जब हरे चारे की कमी होती है तो केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइंटिस्ट हरे चारे की कमी को पूरा करने के लिए उपाय निकाला है. ऐसे मौके पर कुछ खास पेड़ों की पत्तियां खिलाने सलाह पशुपालकों को दी जाती है. तब पेड़ों की पत्तिेयां हरे चारे की कमी को तो पूरा कर सकती हैं. साथ ही बकरियों को इनसे पोषक तत्व भी खूब मिलता है. एनीमल एक्सपर्ट का कहते हैं कि कि हरे चारे की कमी को देखते हुए ही हे और साइलेज तैयार किया जाता है. ये देखा जाता है कि बकरियां खुद डाल से तोड़कर हरा चारा खाना अच्छा लगता है. यही वजह है कि बकरी पालन में फसल चक्र यानि चारा चक्र का पालन जरूरी होता है. ताकि इसका पालन किया जाए और बकरी को हरे चारे की कमी न हो.
ठंड में क्या पसंद करती है बर्कियां
सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. मोहम्मद आरिफ ने बताया कि जमीन पर पड़े चारे की अपेक्षा बकरी डाल से तोड़कर पत्तियों को खाने में ज्यादा दिलचस्पी लेती है. जब मैदान में हरा चारा नहीं होता है तो बकरी नीम, गूलर, अरडू आदि पेड़ की पत्तियां खिलाया जा सकता है. ताकि बकरी को हरे चारे की कमी न हो. यदि आप ये सोच रहे हैं कि बकरी को इसका जायका कैसे लगता है तो बता दें कि बकरियां इन्हें खाना पसंद करती हैं. जबकि सर्दियों में तो खासतौर पर नीम की पत्तियां खाना बहुत पसंद करती हैं. जानकार कहते हैं जब बकरियां पेड़ों की पत्तियों को चारा के तौर पर खाती हैं तो ये दवा का भी काम करती है. नीम का ये फायदा हाता है कि इसके खाने से बकरी के पेट में कीड़े नहीं होते हैं. वहीं बरसात में होने वाले हरे चारे में पानी की मात्रा अधिक होती है. इससे डायरिया हो सकता है. वहीं पेड़ों में पानी कम होता है तो डायरिया की संभावना नहीं होती है.
कीड़े से बचाना है तो क्या करें
सीआईआरजी की सीनियर साइंटिस्ट नीतिका शर्मा कहती हैं कि अमरुद, नीम और मोरिंगा में टेनिन कांटेंट और प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है. सही समय पर तीनों पेड़-पौधे की पत्तियां बकरियों को खिला दी जाए तो उनके पेट में कीड़े पड़ने का खतरा बिल्कुल कम हो जाता है. जबकि पेट में कीड़े होना बकरे और बकरियों के लिए बहुत ही परेशानी का सबब होता है. यदि पेट में कीड़े होंगे तो उसके चलते बकरे और बकरियों को जो सबसे बड़ा नुकसान होता है वो ये कि उनकी ग्रोथ रुक जाती है. ऐसे में बकरी पालन करने वाले जो कुछ भी खिलाएंगे उनके शरीर को उतना फायदा नहीं पहुंचाएगा जितना पहुंचाना चाहिए.
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