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जमनापारी बकरे क्यों किए जाते हैं इस खास मौके पर पर सबसे ज्यादा पसंद, विदेश में भी होती है डिमांड

नई दिल्ली. बकरीद एक ऐसा त्योहार है जब बकरों की खासी डिमांड रहती है. तब बकरे वजन नहीं बल्कि उनकी खूबसूरती और वजन के हिसाब से ​भी बिकते हैं. इसमें खासतौर पर यूपी, हरियाणा और राजस्थान में पाए जाने वाले जमनापारी बकरा लोगों की पहली पसंद रहता है. क्योंकि बकरों की कुछ और खास नस्ल की तरह ही जमनापारी बकरा भी अपनी बॉडी साइज की वजह से अलग पहचान बनाए हुए है. एक्सपर्ट क​हते हैं कि दूध देने, मीट और बच्चा देने के मामले में जमनापारी बकरा-बकरी दूसरी नस्ल से आगे हैं. इसी खासियत की वजह से देश के अलावा विदेशों में भी ये पसंद किया जाता है. जबकि नॉन ब्रीड बकरियों की भी नस्ल सुधार के मकसद से भी जमनापारी बकरे की खासी डिमांड होती है.

वहीं केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइंटिस्ट भी जमनापारी बकरे की क्वालिटी की सनद दे चुके हैं. बता दें कि जमनापारी की संख्यार बढ़ाने के लिए सीआईआरजी लगातार काम रिसर्च कर रहा है. बताया गया कि हाल ही में उसे इसके लिए पुरस्का्र भी मिला था. सीआईआरजी के साइंटिस्ट ने बताया कि नेपाल, भूटान, इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया आदि देश में जमनापारी नस्ल के बकरे भेजे गए हैं. इसमें खासतौर पर सफेद रंग में पाए जाने वाले यह बकरे सामान्य बकरों से ज्यादा लम्बे होते हैं. जबकि खासियत ये भी होती है कि देखने में भी खूबसूरत होते हैं.

गौरतलब है कि जमनापारी नस्ल यूपी के इटावा शहर की है. वहीं सीआईआरजी 43 साल से बकरियों पर काम कर रहा है. सीआईआरजी आर्टिफिशल इंसेमीनेशन की मदद से इस खास नस्ल की संख्या बढ़ा रहा है. वहीं 4-5 साल में 4 हजार के करीब जमनापारी नस्ल के बकरे-बकरी किसानों में वितरित किए जा चुके हैं. इसके अलावा सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट और जमनापारी नस्ल के एक्सपर्ट डॉ. एमके सिंह कहते हैं कि दूसरे देश भारत से जमनापारी नस्ल के बकरों की मांग रहती है. वे अपने यहां कि बकरियों की नस्ल सुधार के लिए इसकी डिमांड करते हैं.

जबकि जमनापारी नस्ल की बकरी रोजाना 4 से 5 लीटर तक दूध देती है. जबकि इसका दुग्ध काल 175 से 200 दिन का होता है. बता दें कि एक दुग्ध काल में 500 लीटर तक दूध देने की क्षमता इस बकरी में होती है. वहीं इस नस्ल में दो बच्चे देने की दर 50 फीसद तक बताई जाती है. इस नस्ल का वजन रोजाना 120 से 125 ग्राम तक बढ़ जाता है. वहीं शारीरिक बनावट और सफेद रंग का होने के कारण इनकी खूबसूरती देखते ही बनती है. इसीलिए बकरीद पर भी इनकी खासी डिमांड रहती है.

क्या है इसकी खासियत ऐसे समझें

जमनापारी बकरा इटावा, यूपी के चकरनगर और गढ़पुरा इलाके में बहुत पाया जाता है. बता दें कि यह इलाका यमुना और चम्बल के बीहड़ वाला है. यहां बकरों को खाने के लिए अच्छा चारा​मिलता है.

2 इसके अलावा यह देश का लम्बाई में एक बड़े आकार वाला बकरा माना जाता है. इसके कान भी लम्बे नीचे की ओर लटके हुए होते हैं.

3 इसका रंग आमतौर पर सफेद होता है. लेकिन कभी-कभी कान और गले पर लाल रंग की धारियां कई बकरों में पाई जाती है.

4 इस बकरों की नाक उभरी हुई होती है और उसके आसपास बालों के गुच्छे होते हैं.

5 इसके अलावा बकरे-बकरी दोनों के पीछे के दोनों पैर के ऊपर लम्बे बाल पाए जाते हैं.

6 इस नस्ल के बकरे और बकरी दोनों में ही सींग होता है.

7 इस नस्ल के बकरे का वजन 45 किलो और बकरी का वजन 38 किलो होता है.

8 वहीं बकरा 90 से 100 सेमी और बकरी 70 से 80 सेमी ऊंची पाई जाती है.

9 जमनापुरी बकरियां इसलिए भी खास है कि ये 194 दिन के दूधकाल में एवरेज 200 लीटर तक दूध देती हैं.

10 इस नस्ल की यानि जमनापारी बकरी 21 से 26 किलो तक की हो जाती है.

11 वहीं जमनापारी बकरी का बच्चा 4 किलो वजन तक का पैदा होता है.

12 जमानपारी बकरी 20 से 25 महीने की उम्र पर पहला बच्चा देती है.

13 ये सिर्फ दूध के साथ ही नहीं बल्कि मीट के लिए भी पाली जाती है.

14 देश में जमनापारी बकरियों की कुल संख्या 25.56 लाख बताई जाती है.

15 जबकि प्योर जमनापारी ब्रीड बकरियों की संख्या 11.78 लाख के करीब है.

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