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Fish Farming: मछलियों के लिए बहुत ही खतरनाक हैं ये 3 बीमारियां, बीमार मछलियों की हो जाती है मौत

rohu fish
रोहू मछली की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मछली अगर बीमार पड़ जाए तो फिर प्रोडक्शन पर बेहद बुरा असर पड़ता है. ग्रोथ और प्रोडक्शन कम हो जाता है और मछली पालकों को इससे नुकसान उठाना पड़ता है. अगर मछलियों को बीमारी से बचा लिया जाए तो फिर प्रोडक्शन पर पड़ रहे असर को रोका जा सकता है. दरअसल, ऐसी कई बीमारियां हैं जो मछलियों की जान ले लेती हैं. इसलिए इन बीमारियों के बारे में मछली पालकों को पता होना बेहद जरूरी है. इस आर्टिकल में आपको तीन बीमारियों के बारे में बताएंगे जो जिससे मछलियां मर जाती हैं.

मछलियों की जान ले लेने वाली बीमारियों में पूंछ व परो के सड़ने की बीमारी प्रमुख है. वहीं इसके अलावा अल्सर और फोड़ा रोग में भी मछलियों की मौत हो जाती है. ऐसा क्या होता है कि इन बीमारियों में मछलियों की जान पन बन आती है. आइए इस आर्टिकल में जानते हैं.

पूंछ व परों का सडना (Tail & Finrod disease)
यह रोग गेरोमोनास फारमीकेन्स नामक जीवाणु के कारण होता है. इसमें शुरू में यह जीवाणु पूंछ या पर के किनारे पर चिपककर उसे छितराने लगता है. फिर धीरे-धीरे पूंछ या पर को छितराकर सड़ा देता है. जिससे मछली पानी में तैरने में असमर्थ हो जाती है एवं मर जाती हैं.

फोड़ा रोग (Cancer Disease)
यह बीमारी ऐरोमोनास सालमोनिसिडा नामक जीवाणु से होती है. यह जीवाणु मछली की रक्त सिराओं में एकत्रित होकर बढ़ते रहती है. जहां से यह रक्त नलिकाओं की दीवार को तोड़कर मांसपेशियों से होते हुए शरीर के बाहरी भाग में आ जाती है. एक उभार के रूप में विकसित होती रहती है जो कि बाद में फोड़े का रूप धारण कर लेती है. इसके अलावा गलफड़ों की रक्त शिराओं को भी नुकसान पहुंचाती है. जिस कारण मछलियां मरने लगती है.

अल्सर (Alser Disease)
यह रोग अफैनोमाइसिस इनवेडेन्स नामक फफूंद से होता है. इसके लगने से मछली के शरीर पर जगह-जगह धाव बन जाते हैं. शुरू में यह किसी एक स्थान पर होता है. फिर धीरे-धीरे संकमण के रूप में शरीर के अन्दर तक फैलकर अल्सर का रूप धारण कर लेता है. जिससे मछली मरना शुरू हो जाती है. यह एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है, ऐसे रोगी तालाब के पानी का यदि किसी अन्य तालाब से सम्पर्क हो जाता है तो वह तालाब भी रोग ग्रस्त हो जाता हैं.

सफेद धब्बा रोग (White Spot Disease)
यह रोग इक्थियोफथीरिया नामक प्रोटोजोआ से उत्पन्न होता है जो कि मछली की त्वचा के भीतर अपने को व्यवस्थित कर लेता है जिस कारण मछली के शरीर में जगह-जगह सफेद धब्बे दिखाई देने लगते है.

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Livestock Animal News

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