नई दिल्ली. तालाब में मछली के बीज डालने का भी तरीका होता है. एक्सपर्ट के मुताबिक तमाम प्रजाति की बड़ी कार्प मछलियों की 5,000 अंगुलिकाएं या 25 से 30 मिली मीटर आकार के 8,000 जीरे प्रति हेक्टेयर की दर से तालाबों में डाले जाते हैं. फिंगर्स का आकार आमतौर पर 100 मिली मीटर से 150 मिली मीटर होना चाहिए. इससे इनकी मृत्यु दर में कमी आती है. मछली पालकों को चाहिए कि कई प्रजाति की मछलियों की फिंगर्स को तालाब में डालें. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर ऐसा न किया जाएगा तो मछली प्रोडक्शन कभी भी अच्छा नहीं हो सकता है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि मत्स्य बीज को तालाब में डालने के बाद जुलाई महीने से हर महीने तालाब में जैविक एवं रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. इससे कार्प मछलियों के प्राकृतिक भोजन की आपूर्ति होती रहती है. यदि कभी तालाब के जल का रंग हरा हो जाए या पानी में किसी तरह की बदबू महसूस हो तो दोनों ही खादों का इस्तेमाल तुरंत कर दें. वहीं मछली का पूरक भोजन देना भी जरूरी है.
बेहतर प्रोडक्शन के लिए पढ़ें ये प्वाइंट्स
- छह प्रजातियों से मत्स्यपालन करना चाहिए. जिसमें कतला का बीज 15 फीसदी रोहू 20 फीसदी, मिरगल 15 फीसदी, सिल्वर कार्प 15 फीसदी, ग्रास कार्प 15 फसदी तथा कॉमन कार्प 20 फीसदी के अनुपात से डालें.
- सिल्वर कार्प तथा ग्रास कार्प के बीज उपलब्ध नहीं होने पर चार प्रजातियों की कार्प मछलियों का मत्स्यपालन भी फायदेमंद होता है. इनमें कतला 30 फीसदी रोहू 30 फीसदी मिरगल 20 फीसदी और कॉमन कार्प का 20 फीसदी बीज संचयित करना चाहिए.
- तीन जातियों का मत्स्यपालन करना चाहते हैं तो इसमें कतला का बीज 40 फीसदी रोहू का 30 फीसदी और मिरगल 30 फीसदी डालना चाहिए.
तालाब का प्रबंधन कैसे करें
स्पॉन, जीरा और अंगुलिका को रखने के लिए तीन तरह के तालाब की जरूरत होती है. नर्सरी तालाब का क्षेत्रफल लगभग 0.02 हेक्टेयर होनी चाहिए. पानी उसमें 0.9-1.0 मीटर तक होनी चाहिए. रियरिंग तालाब ये तालाब 0.05-0.1 हेक्टेयर होना चाहिए. उसमें पानी 1.5-2.0 मीटर तक रखना चाहिए. नर्सरी तालाब में 15 दिन रहने के बाद ये जीरा में बदल जाते हैं. जीरा बन जाने पर उसे रियरिंग तालाब में विस्थापित कर दिया जाता है. वहीं तालाब की साफ-सफाई एवं रख-रखाव नर्सरी तालाब के ही तरह करते हैं. अब जीरा को तालाब में छोड़ देते हैं. दो महीने के बाद ये अंगुलिका में बदल जाते हैं. संचय तालाब में पानी 1.5 से 2.5 मीटर तक होनी चाहिए. एक हेक्टेयर तालाब में 5000 अंगुलिका को छोड़ा जाता हैं.
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