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Animal Husbandry: इन 12 प्वाइंट्स में पढ़ें पशुओं के हीट में आने के लक्षण, इसको लेकर एक्सपर्ट के सुझाव

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प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. डेयरी पशुओं के प्रजनन का सही वक्त अगस्त और सितंबर है. एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि इन दोनों महीनों में पशुओं का प्रजनन होता है. एक्सपर्ट के मुताबिक पशुओं गाभिन कराने से पहले पशुपालकों को पशुओं के हीट में आने की जानकारी होनी चाहिए. अगर हीट में आए पशुओं को सही समय पर नेचुरल तरीके या फिर कृत्रिम गर्भाधान नहीं कराया जाता है तो फिर अगला मौका 21 दिनों के बाद आएगा. ऐसे में इसका खामियाजा पशुपालकों को ही उठाना पड़ेगा. ऐसे में जरूरी है कि हीट में आते ही पशुओं को गाभिन कराया जाए.

इसी वजह है कि ये कहा जाता है कि पशुओं के हीट में आने की जानकारी पशुपालकों के पास हो. कुछ लक्षण हैं, जिनको देखकर आप पशुओं के गाभिन होने का अंदाजा लगा सकते हैं. अगर इसकी जानकारी नहीं हुई तो फिर पशु हीट में आएगा और पता भी नहीं चलेगा. इसके चलते पशु को गाभिन भी नहीं कराया जा सकेगा और इससे दिक्कते होंगी. इस आर्टिकल में आपको पशुओं के हीट में आने और इसको लेकर एक्सपर्ट के कुछ सुझाव शेयर किए जा रहे हैं, इसे जरूर पढ़ें आइए इसके बारे में डिटेल से जानते हैं.

पशुओं के गर्मी में आने के लक्षण क्या हैं
-पशु एक्सपर्ट कहते हैं कि बार-बार रंभाना, पशुओं के हीट में आने के संकेत हैं.
-पशुओं का पूंछ उठाना, भी इस बात की इशारा करते हैं, कि पशु हीट में आ गया है.
-प्रजनन अंगों में सूजन और अधिक खून बहने के कारण गुलाबी-लाल रंग.
-ब्रीडिंग अंगों से गाढ़े चिपचिपे और पारदर्शी द्रव का निकलना भी इसके संकेत हैं.
-वहीं ऐसी कंडीशन में पशु बार-बार पेशाब करना शुरू कर देते हैं.
-एक्सपर्ट कहते हैं कि खुराक और दूध का कम होना भी इसके संकेत में से एक है.
-पशु का बेचैन होना, दूसरे जानवरों का सूंघना और उन पर चढ़ना इस ओर इशारा करता है.
-गर्मी में आने के 10-12 घंटे के बाद पशु का सांड़ या अन्य पशु के सामने जाकर खड़ा होना और उसे अपने ऊपर चढ़ने देना.

क्या है सुझाव पढ़ें यहां
-गर्मी में आने के 10-12 घंटे बाद ही कृत्रिम गर्भाधान या फिर प्राकृतिक गर्भाधान कराना चाहिए.
-एक्सपर्ट कहते हैं कि पशु गाभिन नहीं हुआ है तो वह 21 दिन बाद फिर गर्मी में आयेगा.
-21 दिन बाद गर्मी के लक्षणों का फिर से निरीक्षण करना चाहिए, विशेष रूप से सुबह और शाम के समय.
-भैसों में विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि उनमें गर्मी के लक्षण अधिक स्पष्ट नहीं होते हैं.

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