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Buffalo Farming: डेयरी कारोबार के लिए क्यों बेहतर मानी जाती है भैंस, यहां पढ़ें इस बारे में एक्सपर्ट की राय

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प्रतीकात्मक तस्वीर: Livestockanimalnews

नई दिल्ली. पशुपालन में भैंस एक अहम रोल है. एक भैंस की उम्र लगभग 18-20 वर्ष की होती है व अपनी पूरी जिंदगी में जीवन में 9-10 बार ब्याती है. वहीं प्राकृतिक रूप से चरने वाले जानवर होते हैं. ये कम गुणवत्ता वाले राशन को भी अच्छी तरह से पचा लेते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि भैंस का दूध दुनिया का दूसरा सबसे लोकप्रिय दूध है. वहीं भारत में कुल दूध उत्पादन में भैंस के दूध का हिस्सा 53 फीसदीी से ज़्यादा का है. इतना ही नहीं भैंस का दूध गाय के दूध की तुलना में ज़्यादा ऊर्जा देता है. भैंसों के दूध में वसा और प्रोटीन की मात्रा ज़्यादा होती है. अगर भैंस को तनाव मुक्त माहौल दिया जाए तो दूध उत्पादन में इजाफा हो जाता है. भैंस के दूध में गाय के दूध के मुकाबले वसा ज्यादा होती है. आप देखेंगे तो आपको गाय का दूध पतला नजर आएगा. जबकि भैंस का दूध गाढ़ा और चिपचिपा होता है.

भैंसों की उपयोगिता की बात की जाए तो एशियाई देशों में भैंस खेती मे बोझा ढोने का एक महत्वपूर्ण साधन है. यह कृषि के काम में आने वाले प्लांट, छोटे सोर्स द्वारा सिंचाई, फसलों को ढोना, खासकर गन्ने की फसल व अनाज तोड़ने में अधिक प्रयोग होता है, क्योंकि दक्षिण एशियाई देशों में ज्यादातर किसान सीमांत है, या छोटी जोत वाले हैं. इस लिए वे बड़ी मशीनरी का प्रयोग करने में असमर्थ होते है. एक तरह से ये उनके जीवन-यापन का सहारा होते हैं. पशु को कम देखभाल की जरूरत पड़ती है.

भैंस और गाय के दूध में होता है ये फर्क
इनके खुर बड़े होने की वजह से ये आसानी से और अधिक समय तक गीलापन सहन कर सकते हैं. भैंस एक भारी शरीर वाला पशु है. इसका प्रयोग खासकर एशियाई देशो में मांस उत्पादन के लिए किया जाता है. भारत में यह मांस उत्पादन व निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण पशु है. भैंस के दूध में कुल ठोस वसा व प्रोटीन अधिक और विटामिन गाय के दूध में अधिक होते हैं. भैंस के दूध में कैरोटीन का आभाव होता है, यही कारण है, की भैंस का दूध गाय दूध की अपेक्षा अधिक सफेद होता है.

संतुलित आहार से मिलता है बेहतर प्रोडक्शन
एक्सपर्ट का कहना है डेयरी उ‌द्योग के लिए अच्छे दुधारू गुण वाले पशुओ का होना आवश्यक होता है. तभी यह करोबार फायदेमंद साबित होता है. इसके लिए सबसे पहले अच्छी भैंसों का चुनाव करना जरूरी होना चाहिए. कई बार हम बाहरी देह देख कर खरीद लाते है, पर वे अधिक दूध उत्पादन में खरे नहीं उत्तर पाते हैं. कभी कभी देखने को मिला है, की कमजोर पशु भी अच्छे संतुलित पोषक युक्त आहार व सही प्रबंधन से अच्छे दुग्ध उत्पादन पर खरे उतरते हैं. इसलिए पशु खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, तो अच्छे पशु का चुनाव कर सकते है.

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