नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग में बेहतर प्रोडक्शन और मुर्गियों की अच्छी हैल्थ को बनाए रखने के लिए कई उपकरणों की जरूरत पड़ती है. इन्हीं उपकरणों में से एक ड्रिंकिंग सिस्टम भी है. इसके अलावा भी मुर्गियों को पानी पिलाने के लिए कई चीजों की जरूरत पड़ती है. बात की जाए ड्रिंकिंग सिस्टम यानि पानी के ऑटोमॅटिक उपकरण के मेथड की तो इसका इस्तेमाल पहले दिन से दसवें दिन तक चूजों को पानी पिलाने के लिए किया जाता है. हर 1000 चूजों पर कम से कम 16 से 20 मिनी चिक ड्रिंकर या 40 सेंटी मीटर व्यास वाले 6 बैल ड्रिंकर लगाने की जरूरत होती है और यदि गर्मी अधिक हो तो साथ में 6 मिनी चिक ड्रिंकर भी लगाना पड़ता है.
पोल्ट्री एक्सपर्ट डॉ. इब्ने अली का कहना है कि जैसे-जैसे ब्रॉयलर बड़े होते हैं वैसे वैसे पुराने चिक ड्रिंकर को बैल ड्रिंकर से बदलना पड़ता है. 70 ब्रॉयलर पर बैल ड्रिंकर लगाया जाता है. ये उपकरण उचित दूरी पर लगाने चाहिए, जिससे मुर्गी को पानी पीने के लिए 8 फीट से अधिक ना चलना पड़े. इन ड्रिंकर्स की ऊंचाई को रोज देखना चाहिए, और ऊंचाई ऐसी होनी चाहिए जिसमें ड्रिंकर की तली मुर्गी की पीठ के बराबर हो. इससे पानी बीट से गंदा नहीं होता और सफाई बनी रहती है. वहीं पानी का सही स्तर बनाकर रखना पड़ता है, नहीं तो पानी ड्रिंकर से छलक कर बाहर आ जाता है और लिट्टर को गीला करके बीमारी फैलता है. ड्रिंकर्स को रोजाना या हफ्ते में कम से कम तीन बार किसी अच्छे सैनिटाइज़र से साफ करना चाहिए और टीकाकरण वाले दिन सैनिटाइजर को नहीं इस्तेमाल करना चाहिए.
निप्पल ड्रिंकिंग सिस्टम क्या होता है
निप्पल ड्रिंकिंग सिस्टम बैल ड्रिंकिंग से अच्छे होते हैं. क्योंकि इसमें पानी का संक्रमण सबसे कम होता है और पानी बर्बाद नहीं होता है. पानी बहार लिट्टर पर नहीं बिखरता और रोज-रोज पाइप और निप्पल को साफ करने की जरूरत नहीं पड़ती है. निप्पल को चूज़ो की ऊंचाई पर फिट करना पड़ता है और नियमित पानी का दबाव बना कर रखना पड़ता है. इसके लिए ऐसा हिसाब बनाना पड़ता है, जिससे चूजे के पैर जमीन पर सीधे रहें और चोंच आसानी से निप्पल के पॉइंट पर पहुंच जाये. इसके लिए जमीन की सतह और चूजे की पीठ के बीच 35 से 45 डिग्री का कोण बनता है. एक निप्पल 10 से 12 मुर्गियों के लिए काफी रहता है.
पानी सोर्स और भंडारण टैंक
इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सभी निप्पल सही से काम कर रहे हों. निप्पल की पाइप लाइन की संख्या इस बात पर निर्भर करती है कि फार्म की चौड़ाई कितनी है और मुर्गियों की संख्या कितनी है, लेकिन आमतौर पर हर 10 फीट पर एक लाइन लगाई जाती है. पानी को अमूमन बोर वैल, खुले कुएं से या नहर से हासिल किया जाता है. नहर या नदी के पानी को पहले अच्छे से साफ करना पड़ता है. टैंक के साइज का निर्धारण पानी की कुल मांग के हिसाब से किया जाता है. विभिन्न ज़रूरतें जैसे पीने के लिए पानी, साफ सफाई के लिए, फॉगर्स के लिए, फार्म के बाहर गाड़ियों के पहिए और पैर को दवाई के पानी में धोने के लिए आदि. एक बड़ा टैंक होने के साथ-साथ कुछ छोटे टैंक भी होने चाहिए. जिनसे हर एक शेड की 24 घंटे के पानी की आपूर्ति की जा सके, यदि दो टैंक रखें जाएं तो रोजाना साफ सफाई में आसानी रहती है.
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