Home मछली पालन Fisheries: मछली पालन में इन चीजों से होता है नुकसान, जानें ऐसा क्या करें जिससे प्रोडक्शन पर न पड़े असर
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Fisheries: मछली पालन में इन चीजों से होता है नुकसान, जानें ऐसा क्या करें जिससे प्रोडक्शन पर न पड़े असर

fish farming in pond
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. मछली पालन बेहद ही फायदेमंद व्यवसाय है. एक एकड़ के तालाब में मछली पालन करके लाखों रुपये की कमाई की जा सकती है. मछली पालन के लिए जरूरी है कि इसकी सटीक जानकारी हो. अगर जानकारी नहीं रहेगी तो हो सकता है कि मछली पालन में नुकसान हो जाए. इसलिए जरूरी है कि मछली पालन करने से पहले तालाब में तमाम तैयारी मुकम्मल कर ली जाए. तालाब में वो तमाम इंतजाम किये जाएं, जिससे मछली पालन करने पर प्रोडक्शन ज्यादा से ज्यादा हो और मछली पालक को फायदा भी ज्यादा से ज्यादा मिले.

एक्सपर्ट कहते हैं कि इसकी तैयारी करने में सबसे अहम काम ये है कि तालाब के मिट्टी को 7-10 दिनों तक धूप में सुखा दिया जाए. इससे परभक्षी मछली और जलीय पौधे खत्म हो जाते हैं और तालाब की सबसे निचली सतह में जमे जैविक पदार्थों टूट जाते हैं. वहीं नर्सरी तालाब से जलीय पौधों को हटाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि मजदूरों द्वारा हाथ से इसे निकलवा लें.

पानी के पौधों को इस तरह करें खत्म
तालाब में जलीय पौधों को 7-10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर 2-4D के इस्तेमाल से भी खत्म किया जा सकता है. वहीं तालाब में फाईटो प्लैंकटन के ब्लूम की स्थिति में सिमाजिन या डायरॉन (3-5 किलो प्रति हेक्टेयर का इस्तेमाल किया जा सकता है. जलीय पौधों के नियंत्रण करने के लिए रासायनिक प्रयोग से कभी-कभी अच्छा रिजल्ट नहीं मिल पाता है. क्योंकि जलीय पौधों की जड़ मिट्टी के नीचे रहती है और पूरी तरह से खत्म नहीं होती है. जबकि वहां तक रासायन का प्रभाव नही पहुंच पाता है. वहीं परभक्षी तथा गैरजरूरी मछलियां न सिर्फ जरूरी मछलियों का खाना खा जाती हैं बल्कि वे कार्प के स्पॉन को भी खा जाती हैं. ये मछलियां पाली जा रहीं मछलियों की जगह ऑक्सीजन और पूरक आहार के लिए भी लड़ती हैं. जिससे हमारी पाली जा रहीं मछलियों की ग्रोथ दर पर गलत असर पड़ता है.

चूना और महुआ का करें इस्तेमाल
फिश एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसी गैर जरूरी मछलियों को तालाब से खत्म करने के लिए कुछ उपाय किय जा सकते हैं. इसकेे लिए तालाब के पानी को पूरी तरह निकाल कर उसे 7-10 दिनों तक धूप में सुखाना सबसे उत्तम उपाय है. वहीं महुआ के खल्ली का उपयोग नर्सरी प्रबंधन के लिए अच्छा माना जाता है. यह परभक्षी तथा गैर जरूरी मछलियों के गलफड़ों में खून की कोशिकाओं को मार देता है और जिस कारण जरूरी मछलियां मर जाती हैं. बाद में, ये महुआ खल्ली की टूट बाद जैविक खाद के रूप में उपयोग में होता है. परभक्षी मछलियों को पूरी तरह से खत्म करने के लिए 2 हजार से ढाई किलोग्राम प्रति हेक्टेयर महुआ खल्ली का उपयोग करना चाहिए और इसका प्रयोग मत्स्य बीज संचयन से तीन सप्ताह पहले करना चाहिए. वहीं ब्लीचिंग पाउडर को उपयोग भी 350 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के दर से कर गैर जरूरी मछलियों को खत्म किया जा सकता है.

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