Home डेयरी श्वेत क्रांति 2.0 की तरफ बढ़ रहा भारत, अब नहीं होगा गांवों से पलायन; जानिए क्या बोले−गृह मंत्री अमित शाह
डेयरी

श्वेत क्रांति 2.0 की तरफ बढ़ रहा भारत, अब नहीं होगा गांवों से पलायन; जानिए क्या बोले−गृह मंत्री अमित शाह

डेयरी क्षेत्र में सर्कुलरिटी और संधारणीयता पर ध्यान देने के साथ ही ईंधन के उत्पादन के लिए गाय के गोबर का उपयोग किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगा।
डेयरी क्षेत्र में स्थिरता और परिपत्रता पर कार्यशाला में मौजूद गृहमंत्री अमित शाह व अन्य।

नई दिल्ली। भारत की कृषि व्यवस्था छोटे किसानों पर आधारित है और गांवों से शहरों की ओर उनका पलायन उनकी समृद्धि से जुड़ा है। ग्रामीण पलायन की समस्या पर काबू पाने के साथ-साथ छोटे किसानों को समृद्ध बनाने के लिए डेयरी एक महत्वपूर्ण विकल्प है। ये बातें आज डेयरी क्षेत्र में स्थिरता और परिपत्रता पर कार्यशाला के उद्घाटन के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहीं. एनडीडीबी और 15 राज्यों के 26 दुग्ध संघों के बीच बायोगैस संयंत्रों और डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए. गृह मंत्री ने यहां यह भी कहा कि आज हम श्वेत क्रांति 2.0 की ओर बढ़ रहे हैं.

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने भारत मंडपम, नई दिल्ली में डेयरी क्षेत्र में स्थिरता और परिपत्रता पर कार्यशाला का आयोजन किया। केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी तथा पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​ललन सिंह की उपस्थिति में कार्यशाला का उद्घाटन किया। कार्यशाला ने तकनीकी, वित्तीय और कार्यान्वयन सहायता का लाभ उठाकर डेयरी क्षेत्र में सतत और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए एनडीडीबी और नाबार्ड के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुए. वहीं स्थिरता और परिपत्रता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण मील के पत्थर चिह्नित किए.

एमओयू पर किए साइन देश भर में बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए एनडीडीबी ने 15 राज्यों के 26 दूध संघों के साथ एमओयू पर साइन किए.इस दौरान डेयरी क्षेत्र में स्थिरता के उद्देश्य से व्यापक दिशानिर्देश जारी किए गए. एनडीडीबी (राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड) के लघु पैमाने पर बायोगैस, बड़े पैमाने पर बायोगैस/संपीड़ित बायोगैस परियोजनाओं और स्थायी डेयरी हस्तक्षेपों के वित्तपोषण के लिए एनडीडीबी सस्टेन प्लस परियोजना के तहत वित्तपोषण पहलों का शुभारंभ किया गया।
राजीव रंजन ने कही ये बात केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि डेयरी क्षेत्र में सर्कुलरिटी और संधारणीयता पर ध्यान देने के साथ ही ईंधन के उत्पादन के लिए गाय के गोबर का उपयोग किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगा। कहा, कि देश में 53 करोड़ से अधिक के विशाल पशुधन संसाधन में से लगभग 30 करोड़ गाय और भैंस हैं। इसलिए बड़ी मात्रा में गाय का गोबर उपलब्ध है, जिसका उपयोग जैविक खाद, जैव ईंधन आदि के लिए किया जा सकता है जिससे उत्पादकता बढ़ेगी।

हरित विकास और किसानों को मिलेगा बढ़ावा राजीव रंजन ने कहा, कि सरकार के समर्पित प्रयासों के कारण डेयरी क्षेत्र काफी हद तक असंगठित से संगठित क्षेत्र में बदल गया है. उन्होंने देश में हरित विकास और किसान कल्याण को बढ़ावा देने के लिए सर्कुलर इकोनॉमी प्रथाओं, नवीकरणीय ऊर्जा पहलों और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के महत्व की बात कही. पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने कि डेयरी क्षेत्र में टिकाऊ प्रथाओं की आवश्यकता और सर्कुलर अर्थव्यवस्था सिद्धांतों को इकट्ठा करने के सरकार के दृष्टिकोण पर जोर दिया. कहा कि भारत विश्व की डेयरी है. डेयरी क्षेत्र कृषि जीवीए में 30 प्रतिशत का योगदान देता है. इन टिकाऊ प्रथाओं का समर्थन करने के लिए, एनडीडीबी ने 1,000 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ एक नई वित्तपोषण योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य छोटे बायोगैस, बड़े पैमाने के बायोगैस संयंत्रों और संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) परियोजनाओं के लिए ऋण सहायता के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करना है.जिससे अगले 10 वर्षों में विभिन्न खाद प्रबंधन मॉडलों को बढ़ाने में सुविधा होगी.

इन कंपनियों ने भी साझा किए विचार डीएएचडी, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), उर्वरक विभाग, नाबार्ड, ओएनजीसी, एनडीडीबी, मारुति सुजुकी, जीसीएमएमएफ (अमूल), बनासकांठा मिल्क यूनियन, अमूल, जीआईजेड और ईकेआई एनर्जी सर्विसेज केअधिकारियों ने अपने विचार साझा किए. विचार-विमर्श के प्रमुख विषयों में सफल परिपत्र अर्थव्यवस्था मॉडल, छोटे डेयरी किसानों के लिए कार्बन क्रेडिट के अवसर और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने में कार्बन ट्रेडिंग की भूमिका शामिल थी. भारत सरकार द्वारा समर्थित और एनडीडीबी के नेतृत्व में डेयरी क्षेत्र ने स्थिरता और परिपत्रता को बढ़ाने के लिए प्रमुख खाद प्रबंधन प्रथाओं की शुरुआत की है. तीन उल्लेखनीय मॉडलों में ज़कारियापुरा मॉडल, बनास मॉडल और वाराणसी मॉडल शामिल हैं, जो दूध के साथ-साथ एक मूल्यवान वस्तु के रूप में गोबर की क्षमता को उजागर करते हैं.

कार्यक्रम में ये रहे मौजूद कार्यक्रम में ये रहे मौजूदइस अवसर पर मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल और श्री जॉर्ज कुरियन भी उपस्थित थे। डेयरी क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों के साथ-साथ पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी), पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी), नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), उर्वरक विभाग, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) और विभिन्न दूध सहकारी समितियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी कार्यशाला में भाग लिया.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

सामान्य तौर पर गाय ढाई से 3 वर्ष में और भैंस तीन से चार वर्ष की आयु में प्रजनन योग्य हो जाती हैं. प्रजनन काल में पशु 21 दिनों के अंतराल के बाद गाभिन करा देना चाहिए.
डेयरी

Milk Production: MP में दूध उत्पादन बढ़ाने लिए सरकार ने तय किया टारगेट, किसानों की भी बढ़ेगी आय

सहकारिता के क्षेत्र में अपार संभावनाएं विद्यमान हैं. बहुउद्देशीय समितियों के माध्यम...

पशु एक्सपर्ट कहते हैं कि खीस पिलाने के बाद दूसरा नंबर आता है बछिया को उचित पोषण देने का. इसके लिए आहार के साथ ही साफ पानी भी उचित मात्रा में देना चाहिए.
डेयरी

Animal Husbandry: दुधारू पशु तैयार करने के टिप्स, कैसे करें जन्म के समय बछिया की उचित देखभाल

पशु एक्सपर्ट कहते हैं कि खीस पिलाने के बाद दूसरा नंबर आता...