नई दिल्ली. अगर आप मछली पालन करने की सोच रहे हैं और तालाब की तैयारी कर रहे हैं तो किस तरीके से तालाब की तैयारी करें कि मछली को भरपूर भोजन मिल सके. मछली पालन में आपकी कमाई अधिक बढ़ सके. तालाब में मछली का बीज रखने से पहले तालाब तैयारी बहुत जरूरी होती है, ताकि मछली को नेचुरल फूड मिल सके. अच्छे तालाब की तैयारी कैसी होनी चाहिए हम आपको बता रहे हैं. तालाब की मिट्टी की जांच करवा लें, तालाब की सतह की सफाई करवा लें. पेड़ पौधों की जड़, बड़े पत्थर आदि हटा दें.
तालाब की मिट्टी को हल चलाकर ढीला कर दें, फिर चूना डालकर इस मिट्टी के साथ बराबर मिला दें और फिर से हल चला दें. कुछ दिन बाद आधा एकड़ के लिए 20 किलो चूना डालें एक एकड़ के लिए 40 किलो चूना पर्याप्त है. चूना की मात्रा मिट्टी के पीएच और उर्वरा शक्ति पर डिपेंड करती है. अब उसमें पानी भर दें या बरसात के पानी को भरने के लिए छोड़ दें.
खाद का प्रयोग कब करें
तालाब की मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए खाद का प्रयोग करना बहुत जरूरी है. खाद के प्रयोग से मछली के प्राकृतिक भोजन की उपज अच्छी होती है. नए तालाब की मिट्टी भुरभुरी होती है, इसके प्रयोग में मिट्टी की डिजाइन में सुधार आता है. इसके प्रयोग से तालाब के पानी का हिसाब भी काम होता है.
कौन सी खाद कर सकते हैं इस्तेमाल विभिन्न प्रकार की खाद इस्तेमाल कर सकते हैं, कार्बनिक खाद जैसे-जैविक पदार्थ के सड़ने से यह खाद बनती है. उदाहरण के लिए मवेशियों का खाद, सड़े-गले पत्ते और पत्तियों का कंपोस्ट. अकार्बनिक खाद, इसमें नाइट्रोजन फॉस्फोरस पोटेशियम खाद होती है.
हम आपको बताते हैं खाद का प्रयोग कैसे करें मिट्टी में मौजूद जैविक कार्बन की उपस्थिति के आधार खाद का प्रयोग किया जाता है. शुरुआती तैयारी में दी जाने वाली खाद की कुल मात्रा का 20 फीसदी भाग होना चाहिए. यदि सदाबहार तालाब में महुआ की खली प्रयोग की गई है, तो खाद की मात्रा को आधा कर देना चाहिए. जबकि रासायनिक खाद को 10 बराबर भागों में बताकर तालाब के चारों ओर पानी में घोलकर उसका छिड़काव करना चाहिए. खाद की बड़ी मात्रा डालने की बजाय छोटी-छोटी मात्रा में 15-15 दिनों के अंदर उसका प्रयोग करें.
रासायनिक खाद का प्रयोग कार्बनिक खाद के प्रयोग के चार से पांच दिनों बाद करें. तालाब में जैविक खाद के रूप में किसी भी मवेशी प्रयोग किया जा सकता है, जैसे मुर्गी, सूकर, गाय या बैल आदि. सूर्योदय के बाद ही खाद का प्रयोग करना चाहिए. तालाब में भैंस के गोबर के प्रयोग की मनाही की जाती है, क्योंकि उसमें एक प्रकार का रंग होता है जो पानी के रंग को काला कर देता है. इससे ऑक्सीजन बनने में कमी आती है. कुछ किसानों का अनुभव है कि तालाब की तैयारी के समय गोबर के साथ तालाब में पुआल भी उपयोग में लाना चाहिए तो उत्पादन अच्छा होता है.
गोबर का प्रयोग कैसे करें गोबर का प्रयोग में शुरू में 500 किलो गोबर डालें और फिर हर महीने के 15 दिन में इसका प्रयोग करें. हर महीने अगर पर्याप्त नेचुरल फूड की उपज ना हो तो खाद का प्रयोग करें. अगर पानी का रंग अधिक हर हो गया है सतह पर काई जम गई हो, तो खाद बंद कर दें. मछलियों के बीमारी के लक्षण दिखने पर खाद का प्रयोग ना करें. ठंड के मौसम में जब पानी का तापमान बहुत कम हो तब भी खाद ना डालें. पानी में ऑक्सीजन की कमी होने पर भी आप खाद का प्रयोग ना करें.
चूना का प्रयोग और उसकी विधि आधा एकड़ के तालाब के लिए 20 किलो चूना फिर उसके हर महीने बाद 5 किलो चूना आप डाल सकते हैं. तालाब में मोटा कीचड़ जमा होने से अधिक मात्रा में चूने का प्रयोग करना चाहिए.
तालाब में कौन सी मछली पालें और क्यों जो मछली खाने में स्वादिष्ट हो ऐसी मछली तालाब में पालें. जिस मछली की आसानी से उपलब्धता हो और उसकी बाजार में मांग हो, ऐसी मछली पालें. तालाब में जिसकी बढ़त अच्छी हो ऐसी मछली पालें.
तालाब के लिए उपयुक्त मछली तालाब के लिए रोहू, कतला, मृगल, कॉमन कार्प है. बाजार में उनकी मांग भी अच्छी होती है और खाने में भी ये स्वादिष्ट होती हैं. इसके साथ-साथ सिल्वर कॉर्प भी पाल सकते हैं. तालाब में प्राकृतिक रूप से घास उपलब्ध है, तो ग्रास कॉर्प भी पाल सकते हैं.
Leave a comment