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Meat: दुनियाभर में बढ़ रहा है हलाल मीट मार्केट, 2033 तक दोगुना से ज्यादा हो जाएगा दायरा

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. दुनियाभर में हलाल मीट के बाजार का दायरा बढ़ता जा रहा है. लोगों की पहली पसंद हलाल मीट बनता जा रहा है. वहीं दूसरी ओर भारत ने भी हलाल मीट एक्सपोर्ट की व्यवस्थाओं में सुधार किया है. जिसके चलते एक्सपोर्ट बढ़ा है और इससे जुड़े लोगों का फायदा भी. बता दें कि भारत के बफैलो मीट की खासतौर पर अरब देशों में अच्छी डिमांड है. जबकि अरब देशों में शरिया कानून की वजह से हलाल मीट ही खाया जा सकता है. वहीं अरब कंट्रीज मीट के बड़े बाजार हैं.

आंकड़ों पर गौर किया जाए तो वैश्विक हलाल मीट मार्केट का मूल्य 2023 में 718 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और 2033 में इसके 1638 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानि 1.64 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. इस अवधि में इसके 8.6 फीसदी CAGR दर्ज करने का अनुमान है.

35.3 फीसदी की रही पोल्ट्री सेक्टर की हिस्सेदारी
बता दें कि कई मुस्लिम-बहुल आबादी वाले देशों में आर्थिक प्रगति जारी है, लेकिन चीन और भारत जैसे देशों में शरिया-अनुपालन उद्योग के लिए पर्याप्त विकास की संभावनाए मौजूद हैं, जहां गैर-मुस्लिम बहुसंख्यक हैं. इस क्षेत्र में, पोल्ट्री ने भी शानदार प्रदर्शन किया है और कम वसा सामग्री के कारण 2024 में 35.3 फीसदी बाजार हिस्सेदारी हासिल की है. जो इस सेक्टर के लिए बहुत अच्छी खबर है.

इन वजहों से बढ़ रही हलाल मीट की मांग
ताजा मांस का दबदबा जारी है, ताजगी और स्वाद के कारण 2024 में 85.6 फीसदी बाजार हिस्सेदारी ताजा मांस ने हासिल की है. हलाल मांस मुख्य रूप से सुविधा स्टोर के माध्यम से वितरित किया जाता है, जो वैश्विक स्तर पर 72.4 फीसदी बाजार हिस्सेदारी रखता है. वहीं सुलभता और व्यापक उत्पाद प्रदान करता है. वैश्विक स्तर पर और एशिया में, हलाल मांस की बढ़ती मांग दो वजहों से है. एक मुख्य रूप से बढ़ती उपभोक्ता जागरूकता और दूसरा इस्लामी आहार कानूनों के आसपास धार्मिक मान्यताओं के प्रभाव के कारण. विशेष रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया और दक्षिण एशिया में मांग ज्यादा है.

भारत ने हलाल निर्यात को बेहतर किया
वहीं भारत ने हलाल निर्यात को बेहतर किया है. भारत ने नए दिशा-निर्देशों के बाद हलाल मांस निर्यात में इसे बेहतर किया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने कहा कि मांस और मांस उत्पादों को 15 देशों में हलाल प्रमाणित के रूप में निर्यात किया जा रहा है. निर्यात को ‘भारत अनुरूपता मूल्यांकन योजना (I-CAS) – हलाल ऑफ द क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया’ के तहत प्रमाणित सुविधा में उत्पादित, संसाधित और पैक किया जाना चाहिए.

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