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Poultry Farming: मुर्गी पालन शुरू करना चाहते हैं तो सरकार से लीजिए मदद और कमाइए अच्छा मुनाफा

यह व्यस्क मुर्गियों में हरे-पीले रंग के दस्तों की छूतदार बीमारी है. यह पुलोरम से मिलती-जुलती बीमारी है.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मुर्गी पालन एक बेहतरीन काम है. जिसको करके अच्छी कमाई की जा सकती है. ब्रॉयलर मुर्गों को मीट के उत्पादन के लिए पाला जाता है और इससे मीट हासिल होता है और किसान इसे बेचकर अच्छी कमाई करते हैं. वहीं लेयर मुर्गियों को अंडों के उत्पादन के लिए पाला जाता है. हम सब जो अंडे खाते हैं, इन्हीं मुर्गियों से मिलते हैं और पोल्ट्री फार्मर्स को इससे अच्छी खासी कमाई होती है. लेयर मुर्गी आम तौर पर सालाना 280 से 300 अंडे देती और 72 से 78 हफ्ते तक लगातार अंडे देती है.

बता दें कि मुर्गियों के अंडे प्रोटीन के सबसे सस्ते और अच्छे सोर्स हैं. यही वजह है कि सरकार भी चाहती है कि संडे हो या मंडे लोग रोज खाएं अंडे. सरकारों की ओर से किसनों की इनकम को दोगुना करने की मकसद से मुर्गी पालन के काम को भी बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है. ताकि जिन किसानों के पास आर्थिक संकट है वह दूर हो जाए. सरकार की मंशा है कि किसान के पास इनकम नहीं तो वो सरकार से मदद लेकर मुर्गी पालन का काम शुरू करें और इसे अपनी इनकम को बढ़ाएं.

निजी क्षेत्र में अंडा उत्पादन बढ़ाना चाहती है सरकार
बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से लेयर मुर्गी पालन के लिए सब्सिडी देने की योजना की शुरुआत की गई है. सरकार की ओर से बताया गया है कि आत्मनिर्भर बिहार के साथ निश्चय-2 के अंतर्गत लेयर मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए अनुदान देने की योजना की शुरुआत की गई है और इसे संचालित किया जा रहा है. योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में निजी क्षेत्र में अंडा उत्पादन करने के लिए 10 हजार से 5 हजार क्षमता वाले लेयर मुर्गी फार्म की संख्या में इजाफा किया जाना है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर सरकार अपने प्लान पर कामयाब हो गई तो न सिर्फ बिहार में अच्छी तादाद में अंडों का उत्पादन होगा बल्कि बिहार के लोगों की जरूरत पूरी होगी और दूसरे राज्यों में अंडे बेचे जा सकेंगे.

योजना का क्या है फायदा, जानें यहां
अब बात आती है कि योजना के तहत कैसे और किसको फायदा पहुंचेगा. जानकारी के लिए बता दें कि योजना के अंतर्गत लेयर मुर्गी फार्म 10 हजार लेयर मुर्गी की क्षमता फीड मिल सहित 5 हजार मुर्गी क्षमता की स्थापना करने पर सब्सिडी मिलती है. सामान्य जाति से ताल्लुक रखने वाले लोगों को 30 फीसदी अनुदान लागत पर सरकार की ओर से मिलेगी. जबकि अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों को 40 फीसदी का अनुदान सरकार की ओर से दिया जाता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसके अलावा 4 वर्षों तक बैंक लोन के ब्याज इंटरेस्ट पर 50 फीसदी राशि अनुदान के रूप में दी जाती है.

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