Home पशुपालन Animal: यहां दोपहर के वक्त पशुओं से काम कराने पर सरकार ने लगाई लगाम, जानें कब से कब तक लगी रोक
पशुपालन

Animal: यहां दोपहर के वक्त पशुओं से काम कराने पर सरकार ने लगाई लगाम, जानें कब से कब तक लगी रोक

राजस्थान में पशुओं के माल ढोहने पर पाबंदी लगा दी गई है.

नई दिल्ली. इन दिनों गर्मी खूब पड़ रही है. कई गर्म इलाकों में टेंपरेचर 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है. इसके नतीजे में दिन में घरों से निकला भी मुश्किल हो रहा है. जिसको देखते हुए राजस्थान सरकार ने पशुओं के हित में एक बड़ा ही अहम फैसला लिया है. सरकार की ओर शासन सचिव पशुपालन, डेयरी, गोपालन एवं मत्स्य डॉ समित शर्मा ने जिलों में दोपहर के समय भारवाहक पशुओं का उपयोग प्रतिबंधित रखने के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए हैं. यानि दोपहर में जब गर्मी ज्यादा होगी तब भारवाहक पशुओं पर भार ढोहने पर पाबंदी होगी.

डॉ. शर्मा द्वारा जारी दिशानिर्देश में कहा गया है कि इस समय राज्य के ज्यादातर हिस्सों में अत्यधिक तापमान के कारण लू की स्थिति बन रही है. टेंपेचर 45 डिग्री के आसपास है. ऐसे मौसम में भारवाहक पशुओं जैसे घोड़े, गधे, खच्चर, भैंसे, बैल आदि जानवरों को दोपहर के समय तीखी धूप में काम में लिए जाने से उन्हें हीट स्ट्रोक, निर्जलीकरण, अत्यधिक थकावट और कभी कभी मृत्यु जैसी गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए पशुओं के कल्याण तथा उनके स्वास्थ्य को देखते हुए उनके प्रति करूणापूर्ण और मानवीय रुख अपनाना बेहद ही जरूरी है.

इस समय पशु का इस्तेमाल करने पर लगाई रोक
उन्होंने जिलों को पशुओं के प्रति क्रूरता अधिनियम 1960, 1965 और 2001 के नियमों के अनुरूप पशुओं की देखभाल और उनका उपयोग करने तथा विधिक प्रावधानों की पालना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. डॉ. शर्मा ने कहा कि इन नियमों के अनुसार किसी जीव जंतु की देखभाल करने या उसे रखने वाले हर व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह उनके कल्याण के लिए और उन्हें अनावश्यक पीड़ा या यातना से मुक्त कराने के सभी संभव प्रयास करेगा. जिन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 37 डिग्री से अधिक रहता हो वहां दोपहर 12 से 3 बजे तक भार वाहक पशुओं का उपयोग नहीं करेगा और न ही होने देगा. उन्होंने बताया कि पशुओं के प्रति क्रूरता अधिनियम के एक अन्य नियम के तहत 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर किसी जानवर का पैदल परिवहन भी निषेध है.

सभी डीएम को जारी किए निर्देश
उन्होने सभी जिला कलेक्टर्स तथा जिला पशु क्रूरता निवारण समिति के अध्यक्षों को पत्र लिखकर इस संबंध में पशुओं के प्रति क्रूरता अधिनियम के समस्त नियमों की अनुपालना करते हुए सभी समुचित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं जिससे भारवाहक पशुओं को किसी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्या का सामना न करना पड़े. दिशानिर्देश में कहा गया है कि सभी संबंधित विभाग, स्थानीय निकाय, पुलिस प्रशासन तथा अन्य संबंधित अधिकारी इसकी प्रभावी मॉनिटरिंग सुनिश्चित करें. कृषि कार्यों तथा यातातयात के लिए उपयोग में लाए जा रहे पशुओं के लिए स्वच्छ और शीतल पेयजल, पर्याप्त छाया, तथा पौष्टिक चारे के उचित प्रबंधन के निर्देश भी डॉ शर्मा ने दिए हैं साथ ही उन्होंने कहा है कि आमजन को भी इस विषय में अधिक से अधिक जागरूक किया जाए और इसके लिए स्थानीय समाचार पत्र, पोस्टर, बैनर, रेडियो और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

CIRB will double the meat production in buffaloes, know what is the research on which work is going on. livestockanimalnews animal Husbandry
पशुपालन

Animal News: पशु पालने वाले लोग इस महीने में ये 8 काम जरूर करें

पशु बीमार हो जाते हैं और इससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़...

दुधारू पशुओं के बयाने के संकेत में सामान्यतया गर्भनाल या जेर का निष्कासन ब्याने के तीन से 8 घंटे बाद हो जाता है.
पशुपालन

Animal Husbandry: गाभिन पशुओं की ऐसे करें देखभाल, जानें पानी कितना पिलाएं, आहार में क्या खिलाएं

पशुपालन निदेशालय ने गाभिन पशुओं के हर दिन आहार की जरूरत बताई...

वर्ष भर विभिन्न मौसमों में उच्च गुणवत्तायुक्त चारे की नियमित आपूर्ति तय करने के लिए साइलेज के रूप में हरे चारे का स्टोरेज बहुत अहम है.
पशुपालन

Green Fodder Silage: हे बनाने में किन किन सावधानियों की जरूरत, जानें यहां

वर्ष भर विभिन्न मौसमों में उच्च गुणवत्तायुक्त चारे की नियमित आपूर्ति तय...