नई दिल्ली. पशुपालन में पशुओं के लिए हरा चारा बेहद ही अहम होता है. अगर पशुओं को हरा चारा न मिले तो उन्हें जरूरी पोषक नहीं मिलते हैं. इससे दूध उत्पादन पर भी फर्क पड़ता है. वहीं पशुओं की सेहत भी खराब हो सकती है. इसलिए पशुओं को हर दिन हरा चारा चाहिए ही होता है. खासतौर पर दुधारू पशुओं को हरे चारे की जरूरत ज्यादा होती है. अगर आप भी पशुपालन कर रहे हैं तो हरे चारे की अहमियत को जानते ही होंगे और इस महीने की अहमियत को भी. क्योंकि इस महीने में हरे चारे के लिए फसल की बुवाई की जाती है.
हरे चारे के तौर पर ज्वार, बाजरा, लोबिया, दीनानाथ आदि की बुवाई इसी महीने में की जा सकती है. अगर आपको खरीफ में हरा चारा लेना है तो इस वक्त ज्वार और मक्के की बुवाई कर दें. पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग बिहार सरकार की ओर से इसको लेकर एडवाइजरी जारी की गई है. उन्हें बताया गया है कि अप्रैल के महीने में बुवाई की गई ज्वार को 2 से 3 भर पानी जरूर देना चाहिए. ज्वार और बोड़ा जिसे लोबिया भी कहा जाता है पशुपालन में यह महत्वपूर्ण चारा फैसले हैं. यह फैसले पशुओं को पौष्टिक चार देती हैं. जिससे दूध उत्पादन और पशुधन के स्वास्थ्य में सुधार होता है.
ज्वार की खासियत यहां पढ़ें
बात अगर ज्वार की जाए तो इसमें प्रोटीन, फाइबर और ऊर्जा की मात्रा ज्यादा होती है, जो पशुओं के विकास और दूध उत्पादन के लिए बेहद ही जरूरी है. ज्वार की फसल आसानी से पच जाती है जिसकी वजह से पशु इसे आसानी से पचाकर पोषक तत्वों का अधिकतम उपयोग कर पाते हैं. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि ज्वार सूखा ग्रस्त क्षेत्र में भी उगाई जा सकती है. जिसे पशुधन के लिए चारे की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है. इसलिए इस चारा फसल को लगाने के लिए पशुपालक भाई जरूर कोशिश करें.
दूध उत्पादन बढ़ता है
इसी तरीके से पशुपालन में बाजरा भी एक महत्वपूर्ण फसल है. यह पौष्टिक चारा है, जो पशुओं को ऊर्जा देता है और कई पोषक तत्वों से यह भरपूर होता है. बाजरा पशुओं के पाचन तंत्र को मजबूत करता है. दूध उत्पादन बढ़ता है और बीमारियों से लड़ने में मदद करता है. वहीं लोबिया भी पशुओं के लिए एक अच्छा चारा है. पशुओं के लिए पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन लोबिया से मिलता है. ये न केवल पशुओं के स्वास्थ्य, दूध उत्पादन के लिए बेहतर पड़ता है बल्कि किसानों की आय बढ़ाने में भी मदगार है.
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