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AI: क्यों कराना चाहिए कृत्रिम गर्भाधान, क्या हैं इसके फायदे, जानें यहां

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प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. आजकल सरकार पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा देने का काम कर रही है ताकि पशुपालकों के पास ऐसे पशुओं की संख्या ज्यादा हो जाए जो ज्यादा दूध उत्पादन करते हैं. इससे पशुपालकों की इनकम भी बढ़ेगी और देश में उत्पादन भी बढ़ जाएगा. बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग (Department of Animal and Fishery Resources) के एक्सपर्ट ने लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) को बताया कि कृत्रिम गर्भाधान से अच्छी गुणवत्ता वाले पशु पशुपालकों के पास आ जाते हैं वहीं इससे बीमारी भी कम फैलती है.

एक्सपर्ट का कहना है कि इसलिए जरूरी है कि कृत्रिम गर्भाधान को अपनाया जाए. ताकि पशुपालन के काम में ज्यादा से ज्यादा फायदा मिले.

कृत्रिम गर्भाधान एवं सामान्य गर्भाधान में क्या फर्क
प्राकृतिक गर्भाधान में नर प्राकृतिक रूप द्वारा गर्मी में आई मादा की योनि में वीर्य संचन करता है.

जबकि कृत्रिम गर्भाधान प्रक्रिया में वीर्य संचन का कार्य प्राकृतिक समागम की बजाय गर्भाधान यन्त्र द्वारा किया जाता है.

गर्भाधान की यह विधि एक वैज्ञानिक तकनीक है और इससे पशुओं की नस्ल सुधार व दुग्ध उत्पादन में तीव्र गति से वृद्धि हुई है.

कृत्रिम गर्भाधान क्या है ?
कृत्रिम विधि से नर पशु से वीर्य एकत्रित करके मादा पशु की प्रजनन नली में रखने की प्रक्रिया को कृत्रिम गर्भाधान कहते हैं.

इस प्रणाली में अच्छी क्वालिटी के नर पशु के सीमेन को इकट्ठा करके प्रयोगशाला में पूरी तरह से जांचने व परखने के बाद तरल नाईट्रोजन में हिनकृत रूप में संरक्षित किया जाता है.

जब मादा पशु गर्मी में आती है तब उस हिमकृत सीमेन को तरल अवस्था में लाकर गर्भाधान यन्त्र द्वारा मादा की योनि में डाल दिया जाता है.

सेक्स सॉर्टेड सीमेन से कृत्रिम गर्भाधान
आमतौर पर गायों में जब सामान्य सीमेन से कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है, तो मादा बछिया होने की संभावना 50 प्रतिशत होती है.

लेकिन सेक्स सॉर्टेड सीमन के उपयोग से मादा बछिया होने की संभावना 90 प्रतिशत से अधिक हो जाती है.

इस प्रकार सेक्स सॉर्टेड सीमेन के उपयोग से न केवल बछड़ो की संख्या नियंत्रित रहेगी, बल्कि अधिक बछिया पैदा होने से किसानो की आय में भी वृद्धि होगी.

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