नई दिल्ली. नए बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (एम-पैक्स) से ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और आर्थिक मजबूती को को बढ़ावा देने में मदद मिलने का दावा सरकार की ओर से किया गया है. यही वजह है कि देशभर से एम-पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों को जोड़ा जा रहा है. हाल ही में मध्य प्रदेश में हुए एक कार्यक्रम में इस बारे में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने इसके फायदे गिनाए. केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि प्राथमिक कृषि सहकारी साख समिति और डेयरी व मछुआरा गतिविधियों को जोड़कर एम-पैक्स बनाने का कार्य नए बायलॉज द्वारा संभव हो सका.
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा 2500 करोड़ की राशि से सभी पैक्स का कंप्यूटराइजेशन किया गया. अब पैक्स, जिला सहकारी बैंक, राज्य व सहकारी बैंक के साथ-साथ नाबार्ड से भी जुड़े हैं. इसके साथ ही इनके ऑनलाइन ऑडिट की भी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है. किसानों की सुविधा के लिए स्थानीय भाषा में कार्य के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया गया.
प्रोडक्ट को ग्लोबल मार्केट दिलाने के लिए किया ये काम
केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर तीन नई किसान सहकारी समितियां का गठन किया गया. किसानों के उत्पाद को ग्लोबल मार्केट में स्थान मिले, इसके लिए एक्सपोर्ट को-ऑपरेटिव बनाया गया, ऑर्गेनिक को-ऑपरेटिव का गठन किया गया. ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स को प्रोत्साहित किया जा सके और किसानों को उनकी उपज का अधिक मूल्य दिलवाने के उद्देश्य से यह पहल की गई. यह दोनों संस्थाएं अगले 20 साल में अमूल से भी बड़ी संस्थाओं के रूप में आकर लेंगी. किसानों को बीज उत्पादन से जोड़ने के लिए बीच सहकारिता के अंतर्गत ढा़ई एकड़ वाले किसानों को भी मान्यता दी गई. उन्होंने कहा कि इन सहकारी गतिविधियों से होने वाली आय सीधे किसानों के खातों में आएगी उसका मुनाफा किसानों को मिलेगा, व्यापारी को नहीं. साथ ही सहकारिता में प्रशिक्षण के लिए सहकारिता विश्वविद्यालय की स्थापना भी की गई है.
किसानों को नहीं मिलता है सही दाम
केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि किसानों द्वारा खुले बाजार में दूध बेचने पर उचित दाम नहीं मिलता है. इसलिए प्रत्येक गांव के किसानों को अधिक से अधिक संख्या में डेयरी के साथ जोड़कर दूध के विभिन्न उत्पाद निर्मित करने का लक्ष्य निर्धारित करना होगा. दूध से दही, मट्ठा, छाछ, पनीर, चीज का निर्माण हो और इसका मुनाफा किसानों को मिले यह व्यवस्था सुनिश्चित करना आवश्यक है. इसके लिए दूध का उत्पादन बढ़ाने, पशुओं की नस्ल सुधारने और दूध के संकलन के लिए बेहतर नेटवर्क विकसित करने की आवश्यकता है. इन गतिविधियों में आज हो रहे अनुबंध महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे.
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