नई दिल्ली. अक्सर कुत्तो के हमले में लोग घायल हो जाते हैं. रात के समय ये कुत्ते बहुत ही ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं. कुत्तों के झुंड बाइक और कार के पीछे दौड़ते हैं और बाइक वाले कई बार शिकार बन जाते हैं. यूपी के अलीगढ़ में कुत्तों के झुंड द्वारा तीन अलग-अलग घटनाओं में बच्चे समेत तीन बड़े लोगों की जान लेने का मामला काफी चर्चा में रहा है. वहीं बिजनौर में भी एक शख्स को कुत्तों ने नोंच कर मार डाला था. इसके अलावा भी कई अन्य घटनाएं होती रहती हैं. यहां हम आपको ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि कुत्तों के हमले से खुद को कैसे बचाया जा सकता है.
बताते चलें कि डॉग स्पेशलिस्ट और गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (गडवासु), लुधियाना में डॉग डिपार्टमेंट के मेडिसिन हैड डॉ. अश्वनी कुमार शर्मा का कहना कुछ तरीका है जिससे अपनाने से कुत्तों के हमले से बचा जा सकता है. ऐसा करने से कुत्ते काटेंगे नहीं. एक्सपर्ट का कहना है कि दिक्कत ये है कि इंसानों ने जानवरों के रहने की जगह को अपना बना लिया है. मौजूदा दौर में पर्यावरण और गंदगी को देखते हुए कुत्तों के खाने-पीने की जगहें बंद हो गई हैं. कुत्तों को खाना डालना भी बंद कर दिया है. ये भी वजह है कि वो हमला करने लगे हैं.
ये वजह वजह हमला करने की
डॉ. अश्व नी कुमार शर्मा का कहना है कि गर्मी का मौसम जब भी आता है तो कुत्ते बहुत आक्रामक हो जाते हैं. इसकी वजह गर्मी है. क्योंकि गर्मी में 40 से 45 डिग्री तापमान होने पर उनकी यह गर्मी और बढ़ जाती है. इंसानों की गर्मी पसीने के जरिए निकलती है लेकिन कुत्तों के साथ ऐसा नहीं है. मुंह के रास्ते ली जाने वाली सांस से वो अपने शरीर की गर्मी को मेंटेन करते रहते हैं. ब गर्मी बहुत बढ़ जाती है तो ऐसा करने में उन्हें बहुत तकलीफ होती है. इसके चलते उनके अंदर चिढ़ चिढ़ापन आ जाता है और वो लोगों पर हमला कर देते हैं.
कुत्तों को समझ नहीं पाते हैं लोग
वहीं कुत्तों को आसपास घने पेड़ न होने की वजह से छांव भी नहीं मिल पाती है. दिक्कत ये है कि घर के आसपास ठंडी जगह में हम उन्हें बैठने से रोकते हैं. उन्हें भगा देते हैं. जबकि कार के नीचे बैठें तो हम उन्हें मारने लग जाते हैं. जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए. वहीं कुत्तों को खाना तक नहीं मिल पाता है न ही कोई पीने के लिए पानी देता है. जबकि उनकी बदन पर पानी पड़ जाए तो उन्हें राहत मिल सकती है लेकिन लोग ये भी नहीं करते हैं. ये कहा जा सकता है कि अवेयरनेस की कमी के कारण लोग कुत्तों की मानसिकता समझ नहीं पाते हैं.
इस तरह पाल सकते हैं कुत्तों को
डॉ. अश्वानी ने कहा कि गली के कुत्तों के लिए जागरुकता बढ़ाई जाना बेहद ही जरूरी है. बहुत से लोग कुत्ते पालते हैं. वो चाहें तो डी वॉर्म और वैक्सीनेशन करके इन कुत्तों पाल भी सकते हैं. घर में इन्हें दूसरे पैट की तरह से रखा जा सकता है. चौंकाने वाली बात यह है कि जब इन्हें इस तरह से प्यार मिलता है तो बदले में यह दूसरी ब्रीड के कुत्तों के मुकाबले ज्यादा प्यार देते हैं और वफादारी दिखाते हैं. इनकी नसबंदी करा कर और किसी एनजीओ की मदद से समय-समय पर इन्हें इलाज देकर भी गली के अंदर अच्छी तरीके से पाला जा सकता है.
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