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पशुपालन: क्या आप जानते हैं बूस्टिन-लैक्टोट्रॉफ़िन के बारे में, इसे भारत ने क्यों किया है प्रतिबंध

PDFA, International Dairy & Agri Expo, Progressive Dairy Farmers Association, Guru Angad Dev Veterinary and Animal Sciences University
गडवासू के अधिकारी और पीडीएफए पदाधिकारी बैठक करते हुए.

लुधियाना. देशभर में बहुत से किसान अपने पशुओं का दूध बढ़ाने के लिए न जाने कैसे-कैसे तरीके अपनाते हैं. कोई चारे में कोई दवा मिलाकर देता है तो कोई कई तरह के हानिकारक इंजेक्शन लगाते हैं, जिससे दूध तो बढ़ जाता है लेकिन उसे लोगों के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है. अब बात आती है किसान ऐसा क्या करते हैं, जिससे दूध बढ़ जाता है तो लाइव स्टॉक आपको बताता है कि कुछ किसान बूस्टिन/ लैक्टोट्रॉफ़िन अपने पशुओं को देते हैं.यह एक सिंथेटिक विकास हार्मोन है जिसका उपयोग गायों और भैंसों में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है. बूस्टिन भारत में प्रतिबंधित है लेकिन इसका उपयोग अक्सर भैंसों के दूध उत्पादन को बढ़ाकर बेचने के कदाचार में किया जाता है. अब इसकी जांच के लिए गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ने काम शुरू कर दिया है.

कैसे करते हैं इसका दुरुपयोग
गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में प्रोग्रेसिव डेयरी फार्मर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों और विश्वविद्यालय के अधिकारियों की बैठक हुई. बैठक की अध्यक्षता कुलपति डॉ इंद्रजीत सिंह ने की. महत्वपूर्ण एजेंडे में किसानों के भ्रम से बचने के लिए नीली-रावी भैंसों की सटीक नस्ल के लक्षण और नीली रवि भैंसों की सटीक पहचान और ग्रोथ हार्मोन का दुरुपयोग, जिसे व्यावसायिक रूप से बूस्टिन / लैक्टोट्रॉफ़िन कहा जाता है, जो एक सिंथेटिक विकास हार्मोन है जिसका उपयोग गायों और भैंसों में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है. बूस्टिन भारत में प्रतिबंधित है लेकिन इसका उपयोग अक्सर भैंसों के दूध उत्पादन को बढ़ाकर बेचने के कदाचार में किया जाता है.

एक्सपो में भाग लेने वाले पशुओं की भी कराई जांच
डॉ. इंद्रजीत सिंह ने बताया कि किसानों के संगठनों की मांग पर विश्वविद्यालय ने उनके रक्त और दूध के नमूनों से जानवरों में अवैध सिंथेटिक विकास हार्मोन के उपयोग का पता लगाने के लिए परीक्षण विकसित किया है. पीडीएफए के अध्यक्ष दलजीत सिंह सदरपुरा ने विश्वविद्यालय से पीडीएफए मेले में भाग लेने वाले जानवरों पर नमूना लेने का अनुरोध किया था, जिससे हार्मोन के दुरुपयोग का पता लगाया जा सके. कॉलेज ऑफ एनिमल बायोटेक्नोलॉजी के डीन डॉ मलिक, डीन ने भी इस पर परीक्षण करने के लिए आश्वासन दिया.

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