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Animal Husbandry: अजवाइन एक फायदे अनेक, पशुपालन के साथ कैस कर सकते हैं इसकी खेती, जानें यहां

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. आप सभी अजवाइन के बारे में तो जानते ही होंगे. हर घर की रसोई में अजवाइन रहती है. अजवाइन घर में खाना बनाने वाले मसाले के तौर पर इस्तेमाल होती है. क्या आप जानते हैं, कि अजवाइन का इस्तेमाल पशुओं के लिए भी किया जाता है. पशु के लिए अजवाइन बड़ी अहम होती है. दरअसल, अजवाइन का इस्तेमाल करके पशुओं में कृमि मारने के लिए किया जाता है. इसके अलावा बाहरी परजीवियों को समाप्त करने के लिए भी अजवाइन बहुत ही उपयोगी दवा के तौर पर काम करती है.

जो पशुपालक पशु पाल रहे हैं वो चाहें तो अजवाइन की खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं. जबकि पशुओं के लिए भी उन्हें बाहर से अजवाइन नहीं खरीदना होगा. मंडी में औसतन अजवाइन का दाम 9,400 रुपये प्रति क्विंटल है. पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, बीकानेर के डॉ. मनीषा मेहरा व डॉ. मनीषा माथुर का कहना है कि अजवाइन खनिज तत्वों का अच्छा स्त्रोत है. इसमें प्रोटीन, वसा, कार्बोहाईड्रेट, रेशा, खनिज पदार्थ जैसे कि कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन की भी अच्छी मात्रा पाई जाती है. राजस्थान में इसकी खेती मुख्यतया चित्तौड़गढ़, उदयपुर, झालावाड़ा, कोटा, भीलवाड़ा व राजसमन्द में होती है.

इस तरह की जाती है खेती: ये दो किस्म की होती है लाम सलेक्शन-1, व-2, आर.ए.1-80 है. ये यह रबी की मुख्य मसाला फसल है. इसकी खेती अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी में की जाती है. सामान्य तौर पर बलुई दोमट मिट्टी जिसका पी.एच मान 6.5 से 8.2 होता है, इसमें सफलतापूर्वक उगाई जाती है. बीज दर व बुवाई की बात करें तो अजवाइन की बुवाई का उचित समय सितम्बर माह है. इसे छिड़काव या कतार विधि से बोया जाता है. इस फसल की बीज दर 4-5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर है. छिड़काव विधि में इसके बीजों को 8-10 गुणा बारीक छनी हुई मिट्टी के साथ मिलाकर छिड़काव करते है और कतार विधि में 30-40 सेमी. की दूरी बनाकर कतारों में बोया जाता है.

सिंचाई कम करना होता है: सिंचाई की बात करें तो इसे सामान्य तौर पर 2-5 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है. जब पौधे 15-20 सेमी. तक बड़े हो जाएं तब, पौधों की छंटाई करके पौधे से पौधे की दूरी में पर्याप्त अन्तर रखा जाता है. जब फसल पीली पड़ जाए और दाने सूखकर भूरे रंग के हो जाए तब इसकी कटाई की जाती है. इसकी फसल 140-150 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. कटाई के बाद फसलों को खलिहान में सूखने दिया जाता है. आमतौर पर अजवाइन की उपज 10-12 क्विटल/हेक्टेयर होती है.

इस तरह पशुओं को खिलाना चाहिए अजवाइन: पशुओं में कृमि मारने के लिए इसका प्रयोग प्रमुखता किया जाता है. बड़े पशु में 10 ग्राम प्रति पशु एवं छोटे बछड़ों में 4 ग्राम प्रति पशु के हिसाब से 4-5 दिन तक दिया जाता है. चूंकि अजवाइन का स्वाद कड़वा होता है. इसलिए इसे काले नमक में मिलाकर खिलाया जाता है. इसका दूसरा उपयोग बाह्य परजीवियों को हटाने के लिए किया जाता है. बाह्य परजीवी जैसे जूं चिंचड, कीड़े और मक्खियां इत्यादि को हटाने के लिए 20 ग्राम अजवाइन पानी में रातभर भिगोकर, सुबह छांनकर उस पानी से त्वचा साफ की जाती है. इसके नियमित उपयोग से पाचन तंत्र अच्छा करता है. इसकी तासीर गर्म होती है, सर्दियों में इसे गुड़ के साथ मिलाकर खिलाने से पशु को सर्दी नहीं लगती और खून की बढ़ोतरी होती है. पशु में एनिमिया नहीं होता है इसके नियमित उपयोग से दुग्ध उत्पादन भी बढ़ता है. इसका एक अन्य उपयोग पशुओं में दस्त रोकने के लिए भी किया जाता है.

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