नई दिल्ली. एवियन इन्फ्लूएंजा, पीपीआर, सीएसएफ, एफएमडी आदि जैसी बीमारियों के लिए रोग निगरानी तमाम आईसीएआर पशु विज्ञान संस्थानों द्वारा की जाती है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)-राष्ट्रीय पशु चिकित्सा महामारी विज्ञान और रोग सूचना विज्ञान संस्थान (एनआईवीईडीआई), बेंगलुरु हर महीने हर राज्य को आईसीएआर-एनआईवीईडीआई के एनएडीआरईएस वी2 पोर्टल के साथ-साथ डीएएचडी पोर्टल पर प्रदर्शित करने सहित 15 आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण बीमारियों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग मॉडल (एआई एंड एमएल) का उपयोग करके रोग खतरे से पहले चेतावनी देता है.
पशुपालन और डेयरी विभाग के पास लेबेरेटरी का एक नेटवर्क है, जिसमें राज्यों में नई प्रयोगशालाएं, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), बरेली में एक केंद्रीय रोग निदान प्रयोगशाला (सीडीडीएल) और पांच क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशालाएं (आरडीडीएल) शामिल हैं. जिनमें बीमारियों की निगरानी, शुरुआती पहचान और बीमारी के खतरों पर तुरंत रिएक्शन के लिए बेंगलुरु, पुणे, जालंधर, कोलकाता और गुवाहाटी में एक-एक प्रयोगशाला शामिल हैं. ये बातें केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल एक सवाल के जवाब में कही.
एएमआर की कर रहा है निगरानी
आईसीएआर ने देश के तमाम राज्यों में 31 केंद्रों को शामिल करते हुए एएमआर पर अखिल भारतीय नेटवर्क कार्यक्रम (एआईएनपी-एएमआर) की शुरुआत करके एंटी माइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) की निगरानी को मजबूत किया है. मत्स्य पालन और पशु रोगाणुरोधी प्रतिरोध के लिए भारतीय नेटवर्क (आईएनएफएएआर) खाद्य पशुओं और जलीय कृषि में रुझानों को ट्रैक करने के लिए एएमआर निगरानी कर रहा है. ताकि पशुओं और मत्स्य पालन में एएमआर जोखिम कारकों को समझा जा सके और नियंत्रण रणनीति तैयार की जा सके. विभाग ने पशु स्वास्थ्य क्षेत्र में एंटीबायोटिक दवाओं के विवेकपूर्ण उपयोग, निगरानी और देखरेख के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और अन्य हितधारकों के परामर्श से एंटी माइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) पर राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार की है.
जागरुकता गाइलाइन जारी की है
वन हेल्थ इनिशिएटिव और एनएपी-एएमआर के तहत प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए कृषि क्षेत्र में कीटनाशकों और एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के संबंध में पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय भी हितधारकों में से एक है. पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को खाद्य उत्पादक पशुओं के उपचार में एंटीबायोटिक दवाओं के विवेकपूर्ण उपयोग, पशु आहार में एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग को रोकने और सामान्य जागरूकता के लिए परामर्श जारी किए हैं.
वैक्सीनेशन से मिल सकता है फायदा
पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) योजना के अंतर्गत, खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी), ब्रुसेलोसिस, पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (पीपीआर) और क्लासिकल स्वाइन फीवर (सीएसएफ), लम्पी स्किन डिजीज, ब्लैक क्वार्टर, हैमरेजिक सेप्टिसीमिया आदि के खिलाफ टीकाकरण के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 100 प्रतिशत केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें रोग निगरानी, देखरेख और क्षमता निर्माण शामिल है. टीकाकरण से एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग कम होता है, इसलिए एएमआर कम होता है.
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