नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश में घनी जनसंख्या है. राज्य 23 करोड़ से ज्यादा आबादी वाला प्रदेश है. इसलिए लोगों की सरकार से बहुत सी अपेक्षाएं भी हैं. इन जन आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न संकल्प लिये गये हैं. खासकर गोवंशीय पशुओं के संरक्षण और सर्वधन के कार्यों को तेज गति से किया जा रहा है. प्रदेश में बेसहरा छुट्टा पशुओं से किसानों की फसलों को हो रहे नुकसान से बचाव के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाए गए हैं. प्रदेश सरकार के संकल्प में निहित 2022 तक कृषको की आय को दोगुनी किये जाने के लिए कृषि समृद्धि आयोग का गठन किया जा चुका है. इसके तहत पशुधन विभाग की भूमिका महत्वपूर्ण है.
पशुपालन के क्षेत्र में बेहतर पशु स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरत के लिए अध्ययन दल बना कर कम सयम में ऐसी सुविचारित नीति कार्य योजना तैयार कर ग्रामीण क्षेत्रों का आर्थिक उत्थान आर्थिक उन्नति के लिए कुक्कुट के क्षेत्र में सफल “कुक्कुट विकास नीति जैसे अन्य माडल लाए गए हैं. वहीं पशु चिकित्सा के क्षेत्र में प्रयोगों के लिए सम्भावनाओं का पता लगाने, पशुपालकों को विशेषज्ञ सलाह लेने और पशुओं के स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों की पूर्ति के लिए विभाग लगातार कोशिशों में जुटा है. प्रदेश में पशुपालन विभाग के तहत 2 निदेशक के पद बनाए गए हैं. डायरेक्टर प्रशासन एवं विकास और डायरेक्टर रोग नियंत्रण और प्रक्षेत्र. दोनों निदेशकों को विभिन्न योजनाओं की संरचना स्वीकृति और कार्य करने में मदद के लिए चार अपर निदेशक (ग्रेड-1), एक वित्त नियत्रंक और एक अपर तथा संयुक्त निदेशक (प्रशासन) का पद भी बनाया गया है.
क्या है पशुपालन विभाग का उद्देश्य
प्रदेश में दूध, अण्डा, ऊन एवं मांस उत्पादन में वृद्धि कर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाना.
पशु स्वास्थ्य सुरक्षा एवं चिकित्सा कार्यक्रमों की क्षमता का उपयोग कर पशुओं को हैल्दी रखना.
विभिन्न पशु महामारियों के कंट्रोल और उन्मूलन के लिए समग्र और सघन प्रयास करना.
पशुधन एवं कुक्कुट विकास के क्षेत्र में उद्यमिता का विकास किया जाना.
प्रदेश के लिए निर्धारित पशु प्रजनन नीति के अनुसार उन्नत प्रजनन और बधियाकरण कार्यक्रम का संचालन करना.
भेड़, बकरी आदि पशु का विकास एवं लघु पशु उत्पादन क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसर पैदा करके ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी दूर करना.
पशुधन के लिए जरूर हरे चारे एवं पोषण की व्यवस्था सुनिश्चित करना है.
गरीबी उन्मूलन एवं भुखमरी को समाप्त करने हेतु विभिन्न योजनाओं का संचालन किया जाना.
गौशालाओं का विकास करना, गोवंशीय पशुओं की अवैध तस्करी, परिवहन को रोकने एवं गोवध रोकना.
पशुपालन विभाग के प्रमुख कार्यक्रम
1-पशु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं.
2-गाय एवं भैंस विकास.
3-पोल्ट्री विकास.
4-भेड़-बकरी विकास.
5-सूकर विकास.
6-अन्य पशुधन विकास.
7-चारा और चरागाह विकास.
8-गौशाला एवं गो-सदनों का विकास.
9-गो सेवा आयोग का मजबूत करना.
10-पशुपालन प्रचार और प्रसार का कार्यक्रम.
11-प्रशासनिक रिसर्च और स्टैटिक रखना.
12-बुन्देलखण्ड क्षेत्र की विशेष योजनाएं.
13-उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद का में काम.
14-वेटनरी काउन्सिल का काम करना.
15-राष्ट्रीय कृषि विकास योजनाएं.
16- राष्ट्रीय गोकुल मिशन की योजनाएं.
17- नेशनल लाइवस्टाक मिशन की योजनाएं.
Leave a comment