नई दिल्ली. पशुपालन पशुओं की देखरेख करना बेहद ही जरूरी है. खासतौर पर जब मौसम तब्दील हो रहा हो या तब्दील होने से पशुओं को परेशानी होने लगे तो इसका ध्यान ज्यादा रखा जाता है. इससे आप पशुओं को बीमार होने से बचा पाएंगे और पशु का उत्पादन भी कम नहीं होगा. जिसका फायदा आपको ही मिलेगा. एक्सपर्ट का कहना है कि बारिश के सीजन में पशुओं को बाहरी कीड़ों से बेहद ही परेशानी होती है. इसके चलते पशुओं की सेहत भी खराब हो जाती है. इसलिए बाहरी कीड़ों का परमानेंट इलाज जरूरी है.
बता दें कि बारिश के सीजन में पशुओं को बाहरी कीड़ों से होने वाली परेशानी से बचाया जा सकता है. इसके लिए आप तंबाकू और नीम के पत्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं. जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना है. नीम और तंबाकू के पत्तों के पानी से अगर पशुओं को नहलाया जाए तो फिर ये समस्या दूर हो जाएगी.
इन देसी नुस्खों को अपनाए
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि पशुओं में बाहरी कीड़ों जैसे मक्खियों, चीचड़, खाज खारिश (मेंज), जूए आदि से बचाव के लिए पशुपालक देसी नुस्खे अपनाएं.
60 ग्राम गंधक रसायन 1 लीटर पानी में मिलाएं. इस घोल को पशु के शरीर पर छिड़क दें. इससे फायदा होगा. वहीं तंबाकू के पत्तों को पानी में उबालकर इससे पशु को नहलाएं.
एक्सपर्ट का कहना है कि नीम के पत्तों को रातभर भिगो कर रख दें, उसके बाद उसे पानी को अच्छे से छान लें और पशु को नहला दें.
नीम के तेल को पशु के पूरे शरीर पर अच्छे से लगाएं. वहीं जरूरत पड़ने पर पशुपालकों को चिकित्सकों की सलाह लेना ही है.
तंबाकू के पत्ते और नीम के पत्तों के गुण
बता दें कि तंबाकू के पत्ते और नीम के पत्ते दोनों ही पशुओं के लिए अलग-अलग गुण रखते हैं. तंबाकू के पत्तों में निकोटीन होता है अगर पशु इसे खा लें तो ये उनके लिए हानिकारक हो सकता है लेकिन अगर इसके पानी से पशुओं को नहलाया जाए तो फायदा मिलता है. जबकि नीम के पत्ते तो औषधीय गुणों से भरपूर है और पशुओं के स्वास्थ्य के लिए बेहतर होते हैं. पशुपालक भाई नीम के पत्तों का इस्तेमाल पशुओं में स्किन रोगों जैसी खुजली और फुंसी इलाज के लिए भी करते हैं. नीम के पत्तों का उपयोग संक्रामक बीमारियों को रोकने के लिए भी किया जाता है.
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