Home पोल्ट्री Poultry Disease: इस बीमारी में फीड नहीं खाते हैं चूजे, आंखे सूज जाती हैं और दस्त से हो जाती है मौत
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Poultry Disease: इस बीमारी में फीड नहीं खाते हैं चूजे, आंखे सूज जाती हैं और दस्त से हो जाती है मौत

अधिकांश पोल्ट्री प्रजातियों की चोंच एक बहुत ही विशिष्ट अंग है.
प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग में पोल्ट्री किसानों को मुर्गियों को कई तरह की बीमारियों से बचाने की जरूरत होती है. अगर मुर्गियों को बीमारियों से न बचाया जाए तो फिर पोल्ट्री फार्मिंग के बिजनेस में नुकसान उठाना पड़ सकता है. अंडों और मीट दोनों प्रोडक्शन पर असर पड़ता है. वहीं अगर मुर्गियों की मौत होने लगे तो नुकसान बड़ा हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि पोल्ट्री फार्मिंग में मुर्गियों को बीमारियों से बचाया जाए. पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों को बीमारी से बचाव के लिए सबसे जरूरी ये है कि आपको मुर्गियों की बीमारी के बारे में पता हो. तभी बचाव संभव हो सकता है.

पोल्ट्री फार्मिंग में एस्परगिलोसिस नाम की खतरनाक संक्रामक बीमारी है. पोल्ट्री में एस्परगिलोसिस एक संक्रामक फंगल रोग है, जिसे ब्रूडर निमोनिया भी कहा जाता है. एक्स्पर्ट कहते हैं कि यह बीमारी एस्परगिलस फ्यूमिगेटस, ए फ्लेवस और ए नाइजर जैसे फंगस की वजह से होती है. यह बीमारी मुर्गियों, टर्की, बत्तखों, पेंगुइन, खेल पक्षियों और जल पक्षियों को अपनी गिरफ्त में ले लेती है. आमतौर पर यह बीमारी मुख्य रूप से कम उम्र वाले पक्षियों में होती है. संक्रमण की अवधि 2-5 दिन की होती है. इस बीमारी से युवा पक्षियों में मृत्युदर 5-50 फीसदी तक हो सकती है.

बचाव के लिए करें ये उपाय
एक्सपर्ट के मुताबिक यह रोग मुर्गियों व टर्की दोनों में होता है. चूजे पैदा होते ही हैविंग के समय इस रोग से ग्रसित हो जाते हैं. यह आमतौर पर श्वसन तंत्र से संबंधित होता है, लेकिन खून द्वारा अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है. वहीं ये रोग फंगस के नमीयुक्त स्थानों/कूलर/बुरादे आदि में हो जाने से अंडों और चूजों को संक्रमित कर देते हैं. ये नौ प्रकार के होते हैं, जिनमें से निम्न दो प्रकार ज्यादा हानिकारक होता है. बचाव करने के लिए बिछावन को गीला न होने दें व बुरादे में 1000 वर्ग फीट एरिया में 5 किलो चूना व 1 किलो बारीक पिसा हुआ नीला थोथा मिला देना चाहिए.

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण
इस रोग में सभी अंग प्रभावित होते हैं, इसलिये लक्षण प्रभावित अंग पर निर्भर होते हैं. नवजात चूजों में यह रोग तीव्र रूप में होता है, जिससे मृत्यु दर अधिक होती है. तीव्र रूप को ब्रूडर न्यूमोनिया भी कहते हैं, जो कि 1-14 दिन की उम्र के चूजों में ज्यादा देखा गया है. तीव्र रूप में चूजों में भूख बन्द होना, श्वसन गति बढ़ना, शरीर का तापक्रम बढ़ना, बैचेनी, दस्त इत्यादि लक्षण प्रमुख है. पक्षियों के आंखों में भी असर होता है, आंखें सूज जाती है तथा पीला सा पानी एकत्रित हो जाता है.

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