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Poultry: ब्रॉयलर मुर्गों को दोबारा कब दी जानी चाहिए रानीखेत की वैक्सीन, जानें क्या सावधानी बरती जाए

ये बीमारी सभी उम्र की मुर्गियों व टर्की में समान रूप से पाई जाती है.
प्रतीकात्मक फोटो, Live stock animal news

नई दिल्ली. मुर्गियों को कई बीमारियों से बचने के लिए वैक्सीनेशन किया जाता है. पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि मुर्गियों को हानिकारक बीमारियों से बचाव करना है तो वैक्सीनेशन करना बेहद ही जरूरी काम होता है. इससे उनकी रोक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और बीमारियां करीब नहीं आती हैं. वहीं वैक्सीन लगने से मुर्गियों को बैक्टीरिया या वायरस के संपर्क में आने पर भी होने वाली गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है. इसका मतलब ये है कि मुर्गियों को बीमारियों से बचाकर उनमें मृत्यु दर कम की जा सकती है और इससे पोल्ट्री फार्मिंग में होने वाले आर्थिक नुकसान से भी बचा जा सकता है. पोल्ट्री फार्मिंग करने वाले पोल्ट्री फार्मर्स को मुर्गियों में वैक्सीनेशन जरूर करना चाहिए.

मुर्गियों में कई बीमारियों से बचाव के लिए वैक्सीनेशन किया जाता है, जिसमें रानीखेत रोग का टीका (F स्ट्रेन), मारेक रोग का टीका, विषैले न्यूकैसल रोग का टीका, संक्रामक ब्रोंकाइटिस का टीका, फाउल पॉक्स का टीका और संक्रामक लैरींगोट्रेकाइटिस का टीका शामिल है. अगर इन बीमारियों से बचाव के लिए वैक्सीनेशन कर दिया गया तो फिर मुर्गियों को इन बीमारियों से बचाया जा सकता है. यदि आपने ब्रॉयलर मुर्गों की फार्मिंग की हुई है तो हम आपको बताएंगे कि उन्हें दोबारा कब रानीखेत बीमारी के लिए वैक्सीन लगाना चाहिए और इसमें क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए.

इस बात का जरूर दें ध्यान
पोल्ट्री एक्सपर्ट के मुताबिक आमतौर पर ब्रॉयलर मुर्गों को 20 दिन के बाद यानी 21वें दिन रानीखेत बीमारी के लिए वैक्सीन लगा दी जाती है. यह आखिरी वैक्सीनेशन भी होता है. पहले वैक्सीनेशन रानीखेत का शुरू में किया जाता है और आखरी में फिर एक बार इसे ही किया जाता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि उन्हें एक बार रिपीट करना पड़ता है. अब बात की जाए कि इसमें क्या सावधानी बरती जाए तो बता दें कि वैक्सीन को मार्केट से लाते वक्त कुछ बातों ख्याल रखना पड़ता है. खासतौर पर जहां से आप वैक्सीन ला रहे हैं वहां पर यह फ्रिज में रखी गई है या नहीं. अगर फ्रिज में नहीं रखी गई है तो इसे नहीं लेना चाहिए.

इस तरह फार्म में लेकर आएं वैक्सीन
उसके बाद जब वैक्सीन खरीदकर लेकर चलें तो एक थैली में बर्फ रख लेना चाहिए. उसी के अंदर वैक्सीन को फॉर्म के अंदर लाना चाहिए. क्योंकि इस वैक्सीन में लाइव बैक्टीरिया प्रेजेंट होते हैं. जैसे ही वैक्सीन की डोज गर्मी के संपर्क में आएगी तो लाइव बैक्टीरिया खत्म हो जाएंगे. फिर वैक्सीनेशन करने का कोई भी फायदा नहीं मिलेगा. इसलिए ज्यादा शाम में या सुबह में वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाता है और ठंडे पानी में किया जाता है. ताजा पानी में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता लेकिन टेंपरेचर डाउन है तब. मुर्गों में वैक्सीनेशन करने से बड़ी बीमारी आने का खतरा टल जाता है.

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