Home डेयरी Brucellosis Disease: संक्रामक रोग ब्रुसेलोसिस या माल्टा बुखार, बेहद है खतरनाक, जानें इसके बारे में
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Brucellosis Disease: संक्रामक रोग ब्रुसेलोसिस या माल्टा बुखार, बेहद है खतरनाक, जानें इसके बारे में

ब्रुसेलोसिस ब्रुसेला बैक्टीरिया के कारण होता है जो मुख्य रूप से पशुधन (जैसे गाय, भेड़, बकरी) में पाए जाते हैं.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. अच्छी नस्ल और अच्छी फसल दोनों की किसान और पशुपालक को फायदा देने वाली होती हैं. अगर पशुपालन में कोई बीमारी लग जाए, तो किसान को नुकसान उठाना पड़ जाता है. बिहार सरकार ने एक ऐसी ही बीमारी के लिए पशुपालकों को जागरूक किया है. ये बीमारी ह माल्टा बुखार या ब्रुसेलोसिस रोग. ये बेहद खतरनाक है और पशुपालन में बेहद नुकसानदाय होता है. आइये जानते हैं इस रोग के बारे में. कैसे अपने पशुओं को इस रोग से बचाएं, ताकि डेयरी और पशुपालन में नुकसान ना उठाना पड़े.
कई नस्लें बीमारियों से लड़ने में सक्षम होती है. पशुपालन में बीमारी लगने का मतलब है दूध उत्पादन का कम होना. यानि पशुपालक को नुकसान उठाना. आइये जानते हैं पशुओं में लगने वाली एक संक्रामक बीमारी के बारे में. ये है ब्रुसेलोसिस. पशुपालन में माल्टा बुखार बेहद घातक होता है. ये एक ब्रुसेला बैक्टीरिया के कारण होने वाला संक्रमण है जो जानवरों से लोगों में फैलता है. बिना पाश्चुरीकृत डेयरी उत्पादों से ये बहुत तेजी से फैलता है. इस रोग से कैसे बचा जाए, इसके लिए पढ़िए पूरी जानकारी.

पहले जानिए क्या है ब्रुसेलोसिस: ब्रुसेलोसिस ब्रुसेला बैक्टीरिया के कारण होता है जो मुख्य रूप से पशुधन (जैसे गाय, भेड़, बकरी) में पाए जाते हैं. ये रोग मुख्य रूप से अनपाश्चुरीकृत दूध और डेयरी उत्पादों के सेवन, संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने, या दूषित मांस खाने से फैलता है. ब्रुसेलोसिस एक संक्रामक रोग है जो ब्रुसेला जीनस के बैक्टीरिया के कारण होता है। यह जानवरों से इंसानों में फैलता है और इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, थकान, जोड़ों में दर्द, और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं.

कैसे फैलता है: ब्रुसेलोसिस का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है. ब्रुसेलोसिस को रोकने के लिए अनपाश्चुरीकृत दूध और डेयरी उत्पादों का सेवन नहीं करना, संक्रमित जानवरों के संपर्क से बचना, और दूषित मांस खाने से बचना चाहिए.

बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण है माल्टा बुखार: माल्टा बुखार, बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण है. ये दुनिया भर में हजारों लोगों को बीमार करता है. दूध के ऐसे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए जिन्हें पाश्चराइज्ड ना किया गया हो. वहीं जानवरों के साथ या प्रयोगशाला में काम करते समय भी सावधानी बरतनी चाहिए. ऐसा करने से इस बुखार से बचने में मदद मिल सकती है.

भूख कम लगना और जोड़ों में दर्द: पशुओं में ये बीमारी होने के कारण इंसानों में भी फैलती है. इस बीमारी में जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होता है. बुखार, वजन कम होना और थकान शामिल हो सकते हैं. कुछ लोगों को पेट में दर्द, खांसी, रात को पसीना, भूख कम लगना और दाने हो जाते हैं. इलाज में एंटीबॉयोटिक दवाएं दी जाती हैं. इस बीमारी का फिर से हो जाना आम बात है.

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