नई दिल्ली. मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में संत रामरतन दास महाराज की तपोस्थली करह धाम अंचल ही नहीं देश भर के लोगों की श्रद्धा का केंद्र है. धनेला पंचायत के करहधाम आश्रम की ओर से यहां गौशाला का संचालन होता है. इस गौशाला को स्वयं रामरतन दास महाराज ने शुरू किया था. गौशाला का प्रबंधन ट्रस्ट के जरिए होता है. समिति ने इलाके में संदेश भिजवा रखा है कि अगर गाय से फसलों को परेशानी हो तो किसान गायों को सताएं नहीं बल्कि करह आश्रम की गौशाला में छोड़ जाएं. यही वजह है कि यहां गायों की संख्या हर रोज बढ़ रही है. जीवों की प्रति इस दया के भाव के कारण भारत सरकार ने आश्रम गौशाला को जीव दया पुरस्कार से नवाजा है.
गौशाला संत राम रतनदास महाराज के समय से संचालित है. वर्तमान में गौशाला की अध्यक्ष किशन दासी जी बाई महाराज हैं. गौशाला के कोषाध्यक्ष दीनबंधु दास महाराज हैं. 1983 में रामदास महारान ने ट्रस्ट गठित किया था. उस ट्रस्ट की देखरेख में गौशाला का संचालन हुआ. 1997 में गौशाला को अलग से जीवजंतु कल्याण बोर्ड में रजिस्टर्ड कराया गया. तब से लगातार यह यह गौशाला समिति द्वारा संचालित की जा रही है.
हर रोज आती हैं यहा गायें
मौजूदा इस समय में करह धाम गौशाला बहुत बड़े भू भाग पर संचालित हो रही है. यहां गायों के लिए शेड हैं, पशु भंडार गृह हैं. यहां साढ़े 7 हजार से ज्यादा गौशाला है. रोजाना 50 से 100 गाय यहां लगातार आ रही हैं. आने वाली गायों तुरंत ही यहां रख लिया जाता है. सेवा के लिए ट्रस्ट की तरफ से वेतन पर कर्मचारी रखे गए हैं. ये कर्मचारी बेहद ही अच्छे ढंग से गायों का ख्याल रखते हैं. ताकि गोवंशों को कहीं कोई दिक्कत न आने पाए. वैतनिक और श्रमदान करने के लिए आने वाले सेवकों को मिलाकर यहां 100 सेक्क सेवाएं दे रहे हैं.
मशीनों से तैयार होता है चारा
गायों के लिए सानी तैयार करने का काम यहां मशीनों से होता है. ताकि गायों को खाना देने में देर न हो और इससे मैन पावर की भी बचत होती है. ग्राम पंचायत धनेला में 11 मजरे व पुरा आते हैं. जिनका परिचय खैरवाया, पटिया वाले सरकार का करह आश्रम, जीवाराम का पुरा, सिहौरी का पुरा, चौधरी का पुरा, अनीबहादुर का पुरा, चक्रपाणि का पुरा, सावंतों का पुरा, जनकपुर का पुरा, मारवाड़ा का पुरा व प्रजापति का पुरा के रूप में है.
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