नई दिल्ली. एनडीडीबी और ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद के अध्यक्ष डॉ. मीनेश सी शाह ने जीसीएमएमएफ अमूल के एमडी जयेन मेहता, प्रो. सास्वता के साथ वर्तमान और पोस्ट कार्बन नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली विषय पर ग्रामीण भारत कार्यशाला में भाग लिया. ये कार्यशाला आईआरएमए द्वारा आयोजित की गई थी. बिस्वास, आईआरएमए, डॉ. हरजीत सिंह और डॉ. एवरिल हॉर्टन, ब्रुनेल यूनिवर्सिटी लंदन भी इस वर्कशॉप में शामिल हुए थे.
ग्लोबल वार्मिंग के नकारात्मक प्रभाव
अपने संबोधन में डॉ. शाह ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से एक विकसित राष्ट्र बनने का मार्ग ऊर्जा गहन रहा है और हम इसके अपवाद नहीं हो सकते हैं. इसलिए हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती मौजूदा अर्थव्यवस्था को कार्बनमुक्त करते हुए एक विकसित राष्ट्र का दर्जा हासिल करना और उस स्थिति तक पहुंचने के लिए हरित ऊर्जा पथ का अनुसरण करना है. हम जिद्दी नहीं हो सकते हैं और एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए पारंपरिक ऊर्जा गहन मार्ग का अनुसरण नहीं कर सकते हैं क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग के नकारात्मक प्रभाव सभी को देखने को मिलेंगे. इसके अलावा विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि जब ऊर्जा परिवर्तन की बात आती है तो सौर और बायोमास प्रमुख गेम चेंजर होंगे.
गोबर बायोमास के उपयोग को भी बढ़ावा दे रहा है.
डेयरी में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एनडीडीबी सौर सांद्रक सौर पीवी सिस्टम जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर रहा है और सौर सहकारी समितियों की स्थापना कर रहा है. एनडीडीबी किसान परिवार की खाना पकाने के ईंधन की जरूरत को पूरा करने के लिए विकेन्द्रीकृत फ्लेक्सी बायो गैस मॉडल, ग्रामीण गतिशीलता के लिए बनास बायो.सीएनजी मॉडल और भाप और विद्युत ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए वाराणसी मॉडल जैसे विभिन्न मॉडलों के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिए गोबर बायोमास के उपयोग को भी बढ़ावा दे रहा है. उन्होंने आगे इस बात पर जोर दिया कि एनडीडीबी डेयरी नेट जीरो के रास्ते पहल के हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक है और वैश्विक डेयरी उद्योग के 2050 तक नेट जीरो होने के लक्ष्य के अनुरूप 2047 तक डेयरी क्षेत्र को कार्बन तटस्थ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.
वर्कशॉप में इस विषय पर हुई चर्चा
आईआरएमए ने विदेशी, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय एफसीडीओ यूनाइटेड किंगडम द्वारा वित्त पोषित ग्रामीण भारत के लिए विकेंद्रीकृत सौर हाइड्रोजन ;डीईएसएचआई, परियोजना के तहत ग्रामीण भारत के लिए वर्तमान और पोस्ट.कार्बन नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली पर एक कार्यशाला का आयोजन किया. इस परियोजना का नेतृत्व आईआरएमए के प्रोफेसर राकेश अरावटिया द्वारा किया गया. कार्यशाला ब्रुनेल यूनिवर्सिटी लंदन और आर्कटिक रिन्यूएबल्स एंड एनर्जी एफिशिएंसी प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से आयोजित की गई थी. समापन के मौके पर सौर फोटोकैटलिटिक हाइड्रोजन जनरेटर की तकनीकी.आर्थिक व्यवहार्यता विषय पर एक पैनल चर्चा के साथ हुआ.
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