नई दिल्ली. जब ड्रोन को डेवलप किया गया तो इसका इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए किया गया था. धीरे-धीरे अन्य क्षेत्रों में भी इसका इस्तेमाल किया जाने लगा. एक्सपर्ट का कहना है कि ड्रोन का इस्तेमाल मछली पालन में बड़े लेवल पर किया जा सकता है और इससे मछली पालन को बहुत फायदा होगा. इसी के मद्दनेजर मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय इस कोशिश में जुटा है कि कैसे ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल मछली पालन सेक्टर में बढ़ाया जाए और इससे मछली पालकों को फायदा पहुंचाया जाए. एक्सपर्ट का कहना है कि ड्रोन तकनीक मछली पालन मत्स्य पालन और जलीय कृषि में कई चुनौतियों का हल ढूंढने में सक्षम है.
एक्सपर्ट का कहना है कि ड्रोन का दायरा और भी आगे बढ़ गया है. इसके इस्तेमाल से मछली बेचने की निगरानी, जलीय कृषि खेतों का प्रबंधन और बाढ़ या तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मत्स्य पालन के बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान का पता लगाया जा रहा है. वहीं पानी के नीचे के ड्रोन अपने प्राकृतिक आवासों में मछलियों के व्यवहार की निगरानी कर सकता है. मुश्किल के संकेतों की पहचान करने में मदद कर सकता है. जैसे कि अनियमित तैराकी पैटर्न या सतह पर पानी का रिसाव, और बीमारी का जल्दी पता लगाने में सहायता करना.
बीमारियों का आसानी से लगाया जा सकता है पता
हाई रेजोल्यूशन ड्रोन इमेजरी मछली के शरीर पर अल्सर या रक्तस्राव जैसी बीमारियों के साफ लक्षणों का पता लगा सकते हैं. जिससे समय पर प्रबंधन और इलाज किया जा सकता है. इसके अलावा ड्रोन पानी की गुणवत्ता की निगरानी करने, प्रदूषणों का पता लगाने और नुकसानदेह शैवाल खिलने की पहचान करने में मदद करते हैं. जिससे समुद्री इकोलॉजी सिस्टम की सुरक्षा होती है. इमरजेंसी में ड्रोन खोज और बचाव कार्यों में सहायता करके, लापता व्यक्तियों या जहाजों को जल्दी और कुशलता से ढूंढकर अमूल्य साबित होते हैं. मौजूदा वक्त में, मत्स्य पालन क्षेत्र में ड्रोन का उपयोग मुख्य रूप से रिसर्च सेंटरो तक ही सीमित है, लेकिन उनके इसतेमाल का विस्तार करने के प्रयास चल रहे हैं.
मछली किसानों को बताया जा रहा है ड्रोन का फायदा
ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ रहा है और यह तकनीक मछली और मछली प्रोडक्ट के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB), ICAR मत्स्य संस्थानों और राज्य विभागों के सहयोग से, मछुआरों, मछली किसान उत्पादक संगठनों (FFPO) और छात्रों को ड्रोन के फायदों को के बारे में बताने के लिए देशव्यापी स्तर पर एग्जीबिशन और पायलट अध्ययन शुरू कर रहा है. केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीआईएफआरआई) द्वारा रिमोट-नियंत्रित, ड्रोन-आधारित वर्टिकल वाटर सैंपलर तैयार किया गया है. जिसकी मदद से आईलैंड जल निकायों में गहराई से पानी के नमूने इकट्ठा कर सकती है, जिससे पानी की गुणवत्ता और प्रदूषण के स्तर पर महत्वपूर्ण डेटा मिल सकता है.
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