नई दिल्ली. इंसानों के भोजन के रूप में इस्तेमाल होने वाले तमाम फूड में से मछली एवं मछली से बने उत्पाद का एक महत्वपूर्ण भूमिका हैं. मछली को वैश्विक स्तर पर इस्तेमाल करने की सबसे अहम वजह ये है कि इसमें 17 फीसदी प्रोटीन होता है. इसके अलावा इसमें माइक्रो न्यूट्रिंस और जरूरी फैटी एसिड भी होता है. मछली का होम फूड और न्यूट्रीशियन सेफ्टी में योगदान इसकी उपलब्धता और व्यक्तिगत पसंदों पर निर्भर करता है. गौरतलब है कि एफएओ-डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञ परामर्श समूह ने इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि सामान्य आबादी के लिए, मछली का सेवन व्यक्तिगत वृद्धि और विकास के लिए फायदेमंद है.
जबकि मछली की एक निश्चित मात्रा (विशेष रूप से वसायुक्त मछलियां) का सेवन हृदय सम्बंधित रोगों को रोकने में कारगर है. विश्वस्तर पर मछली और मछली उत्पादों का व्यापक रूप से सेवन किया जाता है क्योंकि यह अपने उच्च प्रोटीन, जरूरी फैटी एसिड, विशेष रूप से ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन और खनिज के कारण एक अच्छा पोषण स्रोत है. मछली पकड़ने के बाद अगर सही तरीके से संरक्षण नहीं किया गया है, तो उसकी जैविक और रासायनिक प्रकृति खराब हो जाती है.
इन चीजों पर देना चाहिए ध्यान
एक्सपर्ट का कहना है कि मछली का खराब होना, मछली की गुणवत्ता में गिरावट की एक प्रक्रिया है. जिससे उसका स्वरूप, गंध और स्वाद बदल जाता है. मछली में प्रोटीन, अमीनो एसिड और वसा जैसे जैव अणुओं का टूटना मछली के खराब होने के लिए जिम्मेदार कारक है. केमिकल टूटने में प्रोटीन, वसा, अमीनो एसिड आदि माइक्रो ऑर्गेनिज्म के कारण डिसिंग्रेट हो रहे हैं. बैक्टीरिया और रासायनिक टूट के अलावा एंजाइमैटिक और मैकेनिकल नुकसान भी मछली के खराब होने का कारण बन सकती है. वहीं ज्यादा नमी, प्रोटीन और वसा की मात्रा, अनुचित रख-रखाव आदि जैसे कुछ कारक हैं, जो मछली के सड़ने का कारण बनते हैं.
निर्यात पर भी पड़ता है असर
इस वजह से मछली नुकसान उस मछली को रेफर करता है, जिसके गुणवत्ता में गिरावट के कारण या तो त्याग दिया जाता है या अपेक्षाकृत कम कीमत पर बेच दिया जाता है. परिवेश के उच्च तापमान जैसी कठिन परिस्थितियों में ताजी मछली को संभालने, परिवहन और विपणन करने में समस्याओं का सामना करने वाले प्रमुख मछुआरों में छोटे स्तर के मछुआरें शामिल हैं. मछली पकड़ने वाली नाव और तट दोनों पर छोटे स्तर के मछुआरे के लिए पर्याप्त सुविधाओं का अभाव, अच्छी गुणवत्ता वाली मछली के वितरण को रोकता है. इस वजह से माइक्रो ऑर्गेनिज्म नुकसान और रोगजनक बैक्टीरिया द्वारा कैंटेनिमेशन होता है. इसका एक्सपोर्ट व्यापार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है. विशेषकर जब दुनिया भर में अधिक बाध्य अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता पैरामीटर लागू होते हैं.
Leave a comment