नई दिल्ली. देश में राठी नस्ल को बहुत ही अच्छी नस्ल माना जाता है. इस गाय को दूध देने में बहुत अच्छा माना जाता है तो इसके बैल को खेत जोतने और माल ढोने में उतना ही मजबूत. इस नस्ल को देश के किसी भी कोने में बड़ी आसानी से पाला जा सकता है. इस नस्ल की गाय 15 से 18 लीटर प्रति दिन दूध दे सकती है. इस नस्ल की गाय की इन खूबियों को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय जल्द ही देशी गाय की नस्ल सुधार के लिए भ्रूण प्रत्यारोपण पर प्रयोग शुरू करने वाला है. राजस्थान से राठी ब्रीड के गोवंशों को विश्वविद्याल लाया गया है. भ्रूण प्रत्यारोपण के माध्यम से देशी गाय की नस्ल को सुधारा जाएगा.
राठी नस्ल की गाय दूध उत्पादन में बहुत अच्छी मानी जाती है. ये नस्ल मूलत: राजस्थान के गंगानगर, जैसलमेर और बीकानेर जैसे रेगिस्तानी इलाके में पाई जाती है. इस गाय को गुजरात में भी बहुत पसंद किया जाता है. हर गांव-शहर में राठी गाय देखने को मिल जाएगी. ये दिन में 15 से 18 लीटर दूध दे सकती है तो बैल भीषण गर्मी में भी लगातर 10-12 घंटे तक काम कर सकता है. इन नस्ल की गाय पहली ब्यांत में एवरेज एक हजार से 2800 किलोग्राम दूध दे सकती है. इसका एक ब्यांत 15-20 महीने का होता है. इस गाय की कीमत करीब 25 हजार से 55 हजार रुपये या इससे ज्यादा भी हो सकती है.
दुवासु ने भी पसंद की राठी गाय
उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय राजस्थान से अच्छी गाय चिह्नित करके लेकर आया है. इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य देसी गोवंश का संरक्षण करना बताया जा रहा है. विवि. में अच्छी नस्ल की गायों को भ्रूण प्रत्यारोपण के माध्यम से तैयार किया जाएगा. विश्वविद्यालय में इसके सफल प्रयोग के बाद इस वैज्ञानिक पद्धति से किसानों के यहां जाकर भी इस तकनीक का प्रयोग किया जाएगा. इस भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से अच्छी किस्म की देसी गाय तैयार हो सकेंगी. इस तकनीक के प्रयोग से तैयार होने वाली देशी गाय के दुग्ध उत्पादन में वृद्धि तो होगी ही दूध उत्पादन क्षमता बढ़ जाएगी और दूध की क्वालिटी में भी काफी सुधार होगा. विशेषज्ञों की मानें तो भूर्ण प्रत्यारोपण की यह प्रक्रिया पूरी तरह इंसानों की तरह ही होगी.
साहिवाल गाय के मुकाबले ज्यादा दुग्ध दे सकेंगी
पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. एके श्रीवास्तव ने बताया कि विश्विद्यालय के ईटीआईवीएफ सेंटर ने ये शुरुआत की है. इसके लिए राजस्थान साहिवाल और राठी ब्रीड का 52 गोवंश वेटरिनरी विश्वविद्यालय पहुंच चुका है. देसी गाय की नस्ल सुधार के लिए भ्रूण प्रत्यारोपण पर प्रयोग जल्द प्रारंभ होने जा रहा है. भ्रूण प्रत्यारोपण के माध्यम से देसी गाय के दूध का उत्पादन और गुणवत्ता में भी सुधार होगा. अब विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान अब भ्रूण प्रतारोपण की दिशा में नया कीर्तिमान स्थापित कर सकता है.
भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद देसी गाय गर्भ में ही बच्चे को पालेगी
ईटीआईवीएफ सेंटर के प्रभारी डॉ. मुकुल आनंद ने बताया कि राजस्थान से अच्छी गाय चिह्नित करके लेकर आए हैं. देसी गोवंशों का संरक्षण करना इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य है. अच्छी नस्ल की गायों को भ्रूण प्रत्यारोपण के माध्यम से तैयार करेंगे. इससे अच्छी किस्म की देशी गाय तैयार हो सकेंगी. उन्होंने बताया कि भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद देसी गाय अपने गर्भ में ही बच्चे को पालेगी, लेकिन उस बच्चे में मां के लक्षण नहीं आएंगे. अपने आप में यह प्रयोग अनूठा है और इसका किसानों और पशुपालकों को बड़ा लाभ मिलेगा.
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