नई दिल्ली. मछली पालन एक बेहतरीन व्यवसाय है और इसे करके आप खूब कमाई कर सकते हैं. मछली पालन से सालाना 5 से 6 लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है. अगर आपने भी मछली पालन करने का मन बना लिया है तो यह जान लें कि मछली पालन के लिए सीधे कल्चर तालाब का इस्तेमाल न करें. बल्कि इसके लिए नर्सरी तालाब का इस्तेमाल करना चाहिए. नर्सरी तालाब में मछली पालन करने से आपको पता चल जाता है कि आने वाले वक्त में आपको कितना मुनाफा होगा. सीधे कल्चर तालाब में मछली के बीज को डालने से कुछ समझ में नहीं आता कि मछली ग्रोथ कर पा रही है कि नहीं. इसलिए नर्सरी तालाब से ही फिश फार्मिंग की शुरुआत करना चाहिए.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आमतौर पर नर्सरी तालाब 0 से 5 हेक्टेयर और 1.5 हेक्टेयर के आकार का उपयुक्त माना जाता है. तालाबों की औसत गहराई 0.9 मीटर रखनी पड़ती है. गहराई न्यूनतम 0 से 75 मीटर, अधिकतम 1.02 मी रखी जा सकती है. आप पहले मछली के बीज नर्सरी डालें फिर 3 से 4 हफ्ते तक इसी में रहने दें. फिर इसे कल्चर तालाब में ट्रांसफर कर देना चाहिए. फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि मछली के बच्चों को नर्सरी तालाब में रखने का समय कई बार मछली की प्रजाति और तालाब की स्थिति पर निर्भर करता है. जान लें कि मछली के बीज को तालाब में आमतौर पर मार्च के महीने में डाला जाता है.
नर्सरी तालाब से करें शुरुआत
अगर आपने ने रोहू मछली का पालन किया है तो ये 8 से 10 महीने में तैयार हो जाती है. अन्य प्रजाति की मछलियां 16 से 18 महीने तक समय लेती हैं. कतला तेजी से बढ़ने वाली मछली मानी जाती है. एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि सफल फिश फार्मिंग करने के लिए जरूरी है कि फिश फार्मिंग में पहले नर्सरी तालाब बनाया जाए. क्योंकि जब आप नर्सरी तालाब में मछली के बीज डालते हैं तो इसी से तय हो जाता है कि आपको कितना फायदा होने वाला है. ये भी जान लें कि तालाब में चूना डालने से जरूरी तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है और चूना डालने से तालाब में बैक्टीरिया भी नहीं रह जाते हैं.
बड़े तालाब में बीज डालने का क्या है नुकसान
फिश एक्सपर्ट का कहना है कि अगर मछली पालक डायरेक्ट बड़े तालाब में बच्चा डालते हैं तो कई बार प्राकृतिक आपदाओं की वजह से तालाब में मछली का बीच नष्ट हो जाता है. वहीं कल्चर तालाब में मछलियों के बच्चों को फीड देने में और दवाई वगैरह देने में भी दिक्कत आती है. बहुत सी बड़ी मांसाहारी मछलियां छोटे मछलियों के बच्चों को खा जाती हैं. इसके अलावा अगर आप मछली पालन के साथ बत्तख पालन भी कर रहे हैं तो बत्तखें भी छोटे बच्चों को अक्सर अपनी खुराक बना लेती हैं.












