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Fisheries: मार्केट से मछलियों का चारा खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं तो अब टेंशन ना लें, घर पर तैयार करें फीड

fishermen beware! Fish may die due to increasing frost, increase oxygen level in pond, livestockanimalnews
प्रतीकात्मक फोटो. Livestockanimalnews

नई दिल्ली. भारत में बड़े पैमाने पर मछली पालन भी हो रहा है. सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक मदद भी देती है. ताकि किसानों की आय बढ़ाई जा सके. हालांकि मछली पालन कई बार किसानों को नुकसान भी पहुंचाता है. क्योंकि उन्हें मछली से जुड़ी कई बड़ी जानकारियां नहीं होती हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि मछली पालन के लिए तालाब की गहराई 5 से 6 फीट होनी चाहिए. क्योंकि इतनी गहरे तालाब में मछलियों को तेजी से बढ़ने में मदद मिलती है. 5 से 6 फीट गहरे तालाब में सूर्य की किरणें जल से छनकर तालाब की सतह तक पहुंचती हैं. इससे तालाब की गहराई तक प्लैंक्टन पाई जाती है. खास बात यह है कि पानी के अलग-अलग स्तरों पर प्लैंक्टन की मात्रा भी अलग होती है. ऊपरी सतह पर अधिक रोशनी पड़ने की वजह से प्लैंक्टन का 60 फीसदी हिस्सा मौजूद होता है. जबकि मध्य और निचले स्तर पर 20 प्रतिशत तक होता है.

कंपोजिट फिश कल्चर का प्रयोग
वहीं मछलियां अलग-अलग स्तर पर खाना भी तलाशती हैं. कॉमन कॉर्प और कतला ऊपरी एवं मध्य स्तर पर खाना तलाशती हैं. जबकि सिल्वर कार्प और नैनी निचले स्तर पर भोजन की तलाश में रहती हैं. इसलिए पूरे तालाब की विभिन्न स्तरों का दोहन करने के लिए कंपोजिट फिश कल्चर का प्रयोग होना चाहिए. एक्सपर्ट कहते हैं कि खासकर मछली पालक तालाब में जियरा डालते हैं लेकिन पैसों के भाव में उचित मात्रा में चारा नहीं देते. इसी से मछलियों का ग्रोथ तेजी से नहीं होता है. मछलियों को उतना फायदा भी नहीं होता है.

घर पर तैया करें भोजनः किसानों के पास मार्केट से मछलियों का चारा खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं तो घर पर ही उनके लिए भोजन तैयार कर सकते हैं. अगर चाहें तो मछलियों के चारा के रूप में गाय, भैंस का गोबर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. क्योंकि मछलियां गोबर पर भी पल सकती हैं. तालाब में सीधे गोबर को डाल सकते हैं. इसके अलावा बकरी के मल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन बकरी के मल को चूर्ण बनाकर तालाब में छिड़काव करना चाहिए. क्योंकि बकरी का मल पानी में आसानी से नहीं घुल पाता है.

वजन और कमाई दोनों बढ़ेगी
इंडियन कौंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च आईसीएआर के अनुसंधान से साबित हो गया है कि गोबर मौजूद तत्व खाने से मछलियां तेजी के साथ बढ़ती हैं. आईसीएआर ने इसी वजह से मछलियों के लिए गोबर की गोली बनाई है. गोबर में नाइट्रोजन अधिक मात्रा में पाया जाता है. इसका अधिकतर भाग पानी से प्रतिक्रिया कर प्लैंक्टन में परिवर्तित हो जाता है. यह वजह है कि इसे खाने से मछलियों का वजन भी तेजी के साथ बढ़ता है. एक हेक्टेयर मछली पालन शुरू करना चाहते हैं तो शुरुआत में 2000 किलो गोबर तालाब में डालें. इसके बाद हर महीने एक हजार किलो गोबर तालाब में डालें. मछलियों का वजन तेजी बढ़ेगा और कमाई भी बढ़ जाएगी.

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