Home मछली पालन Fish Farming: सिल्वर कॉर्प, कतला और ग्रार्स कॉर्प को ऐसे दें फीड, जल्दी ग्रोथ के साथ बढ़ेगी इनकम
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Fish Farming: सिल्वर कॉर्प, कतला और ग्रार्स कॉर्प को ऐसे दें फीड, जल्दी ग्रोथ के साथ बढ़ेगी इनकम

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मछली पालन की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. खेती किसानी पशुपालन के अलावा ऐसी कई और चीज भी है. जिससे किसान खूब पैसा कमा सकते हैं. उसी में से एक है मछली पालन. मछली पालन आज के वक्त में सफल रोजगार का जरिया माना जा रहा है, क्योंकि मछली की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है और यह व्यवसाय अच्छा खासा मुनाफा दे रहा है. जबकि सरकार भी किसानों की आय को दोगुना करना चाहती है, इसके तहत वह मछली पालन के लिए सब्सिडी वगैरह की व्यवस्था भी करती है. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग खेती किसानी के अलावा इन व्यवसाय से भी जुड़ें और अपनी इनकम को दोगुनी कर लें. यदि आप भी मछली पालन करना चाहते हैं तो कुछ जरूरी बातें हैं, जिनका ख्याल आपको रखना चाहिए.

फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि मछलियों का स्थान और भोजन निश्चित होता है. इसलिए पाली जाने वाली मछलियों का अनुपात भी पहले से तय होना चाहिए. तालाब में सभी छह प्रकार की मछलियां पाली जानी चाहिए. ताकि तालाब की सारी जगह का समुचित इस्तेमाल किया जा सके. सभी प्रकार की खाद्य पदार्थों का उपयोग भी किया जा सकता है. अगर छह तरह की मछलियों को नहीं पाल रहे हैं तो काम से कम तीन प्रकार की मछलियां जरूर रखनी चाहिए.

प्रभावित होती है वृद्धि: ऐसा देखा गया है कि सिल्वर कार्प का अनुपात बढ़ाने से कतला की वृद्धि प्रभावित होती है. इसलिए सिल्वर कार्प की मात्रा कतला से कम रखनी चाहिए. यदि तालाब में ग्रार्स कार्प के लिए उपयुक्त घास न हो तो ग्रास कार्प का संचयन कम करना चाहिए. वहीं सुविधा अनुसार यदि तीन चार 6 प्रकार की मछलियों को संग्रहित करना चाहते हैं तो आप इन तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं. रोहु, मृगल 40:30:30, कतला, रोहु, मृगल, कॉमन कार्प- 30:30:15:25, कतला, रोहु, मृगल, कॉमन कार्प ग्रास कार्प – 30:15:25:20:10, कतला, सिल्वर कार्प, रोहु, मृगल कॉमन कार्प, ग्रास कार्प- 10:25:15:20:20:10.

किसानों को हो रहा है फायदाः आपको बताते चलें कि इस समय बाजार में मछली की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है. इस बात को ध्यान में रखते हुए इसे बेचने में ज्यादा परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ता. इसके अलावा मछली पालन उद्योग शुरू करने के लिए पूंजी की आवश्यकता नहीं होती है. यह व्यवसाय कम खर्चे में आसानी के साथ किया जा सकता है. इसे छोटे और बड़े दोनों स्तर पर किया जाने वाला व्यवसाय कहा जाता है. इसके लिए सरकार की ओर से सहायता भी मुहैया कराई जाती है. इस व्यवसाय से हासिल होने वाला फायदा खर्च के मुकाबले 5 से 10 गुना ज्यादा है. जिससे किसानों को अच्छा खासा फायदा हो रहा है.

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