नई दिल्ली. गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना के कालेज आफ फिशरीज द्वारा मछली पालन पर पांच दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यह प्रशिक्षण अनुसूचित जाति समुदाय के शिक्षार्थीयों को रोजगार उद्यमिता के बारे में शिक्षित करने के लिए आयोजित किया गया था. यह पहल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय मत्स्य विज्ञान शिक्षा संस्थान, मुंबई द्वारा प्रायोजित थी. पाठ्यक्रम निदेशक डॉक्टर वनीत इंदर कौर ने कहा कि पंजाब के अनुसूचित जाति समुदाय के प्रशिक्षणार्थियों ने इसमें भाग लिया.
फिश फार्मिंग मैनेजमेंट बताया
डॉक्टर गरिश्मा तिवारी और डॉक्टर अमित मंडल ने तकनीकी सत्रों का संचालन किया और मत्स्य पालन से संबंधित संपूर्ण महत्वपूर्ण जानकारी दी. शिक्षार्थियों को मछली की प्रजातियों, पानी की गुणवत्ता, चारा और स्वास्थ्य प्रबंधन, एकीकृत मत्स्य पालन, पर्यावरण-अनुकूल प्रौद्योगिकियों और गहन मछली पालन के तरीकों से अवगत कराया गया.उन्हें प्रगतिशील मछली किसान जसवीर सिंह के मछली फार्म और लुधियाना के मछली बाजार का भी दौरा कराया गया.
मछली पालक बन सकते हैं पेशेवर उद्यमी
फिशरीज कॉलेज के डीन डॉक्टर मीरा डी आंसल ने कहा कि हम शिक्षार्थियों को अच्छी शिक्षा देकर उन्हें बेहतर पेशेवर और उद्यमी बना सकते हैं. इसी श्रृंखला में प्रशिक्षणार्थियों के लिए सजावटी मछली, मछली प्रसंस्करण और एकीकृत मछली पालन पर प्रशिक्षण भी आयोजित किया जाएगा. डॉ प्रकाश सिंह बराड़, निदेशक प्रसार शिक्षा ने कहा कि इस तरह का प्रशिक्षण कार्यक्रम हाशिए पर रहने वाले समुदाय के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.
मछली पालन से मिल रहा लोगों को रोजगार
डॉ रविशंकर, सीएन, वाइस चांसलर, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन, मुंबई ने कहा कि सामाजिक रूप से हाशिए पर रहने वाले समूहों का उत्थान ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य है. वाइस चांसलर डॉ इंद्रजीत सिंह ने कहा कि पशुधन और मत्स्य पालन क्षेत्र हमारे देश के सामाजिक- आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और उनका योगदान लगातार बढ़ रहा है. इससे जहां हम खाद्य सुरक्षा में सुधार कर रहे हैं, वहीं लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।
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