नई दिल्ली. मछली पालन में कई बार किसानों को बेहतर उत्पादन नहीं मिल पाता है. इसके नतीजे में इस काम में नुकसान होता है. उत्तर प्रदेश के मछली पालन विभाग (Fishery Department of Uttar Pradesh) की मानें तो इसके कारण कई हैं. उसी में से एक वजह पानी की गुणवत्ता भी है. एक्सपर्ट के मुताबिक अच्छी गुणवत्ता में पानी मछली की उच्च विकास दर की गारंटी देता है. इसमें पर्याप्त घुलित ऑक्सीजन, कम घुलित कार्बन डाइऑक्साइड, इष्टतम पीएच और आवश्यक सांद्रता में घुलित पोषक सत्व मौजूद होता जो मछली के विकास को गति देता हैं.
वैज्ञानिक विधि से मछली पालन में जल गुणवत्ता मानकों की जांच करना होता हैं जो जलीय कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण है. यहां जानते हैं कि मछली पालन के लिए तालाब का पानी कैसा होना चाहिए.
पानी की क्वालिटी
घुलित ऑक्सीजन 5.0 मिलीग्राम लीटर होना चाहिए.
जलीय तापमान प्रजातियों पर निर्भर करता है.
पीएच 7.5-8.5 होना जरूरी है.
लवणता मीठे पानी में 0.5 पीपीटी.
खारा पानी की 0.5 – 30 पीपीटी.
खारे पानी 30-40 पीपीटी.
फ्लो में मीठे पानी 30-5000 माइक्रोसीमेन्स या सेंटी मीटर.
खारे पानी में 50000-60000 माइक्रोसीमेन्स या सेंटी मीटर.
अमोनिया (NH3) <0.05 पीपीएम. नाइट्राइट (NO₂) <0.75 पीपीएम
नाइट्रेट (NO3) <40 पीपीएम, क्षारीयता 50 – 300 पीपीएम.
कुल कठोरता 40-400 पीपीएम, फास्फोरस 0.5 मिलीग्राम प्रति लीटर
रेडॉक्स पोटेंशियल +125 से 200 एमवी, जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD) <50 मिलीग्राम लीटर.
टर्बिडिटी 30 से 60 सेंटी मीटर और कार्बन डाइआक्साइड (CO₂) 10 पीपीएम होना चाहिए.
निष्कर्ष
पानी की क्वालिटी का पता इन चीजों की जांच करके किया जा सकता है. अगर ये सारी क्वालिटी पानी में हैं तो फिर उत्पादन बेहतर मिलेगा.
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